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________________ १६४ जीवन का आभूषण' शिक्षार्थी जीवन विकास और विद्यार्थी गण रुचि - परिष्कार की दिशा विद्यार्थी जीवन : एक समस्या एक समाधान पूजा पुरुषार्थ की विलक्षण परीक्षण मेधावी कौन ? उत्कृष्ट विद्यार्थी कौन ? ४ विद्यार्थी जीवन का महत्त्व विद्यार्थियों के रचनात्मक मस्तिष्क का निर्माण विद्यार्थी और जीवन-निर्माण की दिशा नैतिकता और जीवन व्यवहार' विद्यार्थी वर्ग का नैतिक जीवन विद्यार्थी का जीवन लक्ष्य : एक कवच विद्यार्थी जीवन : जीवन-निर्माण का काल ' राष्ट्र-निर्माण और विद्यार्थी विद्यार्थी का चरित्र संस्कार निर्माण की बेला " विद्यार्थी दृढ़प्रतिज्ञ बने" विद्यार्थी कौन होता है ? छात्रों का दायित्व " १२ १. २८-४-५७ चूरू । २. २६-८- ५३ उम्मेद हाई स्कूल, जोधपुर | ३. २१-१२-५६ कठौतिया भवन दिल्ली । ४. २५-८-५५ उज्जैन । ५. २३-२-६६ नोहर । ६. १९-१-५७ बालिका Jain Education International विद्यापीठ आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण ४६ घर शांति के आलोक में धर्म एक समता कुहासे नवनिर्माण सूरज नवनिर्माण अणु सन्दर्भ आगे नवनिर्माण सूरज सूरज घर भोर सूरज प्रवचन ९ प्रवचन ११ प्रवचन ११ प्रवचन ९ प्रवचन ९ ८. १६-८-५४ बम्बई । ९. १०-१२ - ५५ ढोलाना । १०. ६-३-५४ सोजतरोड़ । १७४ ११७ बिड़ला विद्या विहार, पिलाणी । ७. १०-३-५५ नारायणगांव | For Private & Personal Use Only ८५ २६३ ९३ १५६ २०१ १६३ ६९ ५५ १७६ ५३ ५७ २६७ ९७ २४० ८ १ १५६ १ १३२ ३८ ११. ४-१०- ५३ जोधपुर । १२. २०-२-५३ छात्र सम्मेलन, कालू I www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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