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________________ १५४ पौरुष का प्रतीक आचार्य भिक्षु का दार्शनिक अवदान सत्यशोध के लिए समर्पित व्यक्तित्व : आचार्य भिक्षु आत्मशुद्धि की सत्प्रेरणा लें आचार्य भिक्षु : संगठन और आचार के सूत्रधार आदर्श विचार पद्धति अवधूत का दर्शन और एक विलक्षण अवधूत अठारहवीं सदी के महानतम महापुरुष : आचार्य भिक्षु बलिदान की लंबी कहानी : आचार्य भिक्षु आचार्य भिक्षु : एक क्रान्तद्रष्टा आचार्य असीम आस्था के धनी : आचार्य भिक्षु सत्य के प्रति समर्पण' आध्यात्मिक क्रांतिकारी सन्त आचार्य भिक्षु की जीवन-गाथा" आचार्य श्री भिक्षु" आचार्य भिक्षु और तेरापंथ जयाचार्य बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी भविष्यद्रष्टा व्यक्तित्व श्रीमद्जयाचार्य'" जयाचार्यः व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व" वे अनुपमेय थे आत्म साधना के महान् साधक ? -१५ १. २५-९-७७ लाडनूंं । २. १७-९-५६ सरदारशहर। ३. बीदासर । ४. २७-९-७७ लाडनूं । ५. २४-१२-७७ लाडनूं । ६. ८-९-६५ दिल्ली । ७. १६-१२-७६ राजलदेसर । ८. ९-४-७७ लाडनूं | Jain Education International आ तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण मुखड़ा १७५ मेरा धर्म ११८ सोचो ! १ संभल संभल घर लघुता सोचो १ प्रवचन ५ बूंद-बूंद २ मंजिल १ मंजिल १ प्रवचन ११ भोर सूरज प्रवचन १० बीती ताहि वि दीर्घा मंजिल १ सोचो ! १ बीती ताहि प्रवचन ९ १२. २०-७-७८ गंगाशहर । १३. २१-८-७६ सरदारशहर । १४. १०-९-७७ लाडनूं । १५. ५-९-५३ जोधपुर । १५२ १६६ १७८ २४४ २०८ For Private & Personal Use Only १५७ १३१ १६४ ६४ २०७ २६. १३२ २०९ ३० ५४ ४९. १४ ९. १९५३ भिक्षु चरमोत्सव, जोधपुर । १०. १०-९-५४ बम्बई । ११. ३१-८-५५ उज्जैन । १३९ ५७ २३८ www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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