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________________ नैतिकता और अणुव्रत १०७ उद्बो उद्बो समता उद्बो/समता उद्बो/समता प्रवचन ११ प्रवचन ११ आलोक में नैतिक नैतिक १९१/१८९ ९५/९४ १९/१९ १९७ १५४ ४२ १०० १०४ नैतिक १२१ १३४ १४१ सुखी जीवन की चाबी संयम के संस्कार अमोघ औषध धर्म : एक अखण्ड सत्य दानवता की जगह मानवता' नैतिक क्रांति का सूत्रपात व्रत और अप्रमाद के संस्कार अणुव्रत की आधारशिला अणुव्रत ग्रहण में दो बाधाएं अणुव्रत का मार्ग अणुव्रत का महत्त्व अणुव्रत : भारतीय संस्कृति का प्रतीक सब धर्मों का नवनीत" आत्म शक्ति को जगाइये अणुव्रत : आत्म-शुद्धि का साधन आदमी नहीं है धर्म को नई दिशाएं जीवन की न्यूनतम मर्यादा जनतंत्र की स्वस्थता का आधार सामाजिक सम्पर्क के सेतु विश्व-शांति की आचार संहिता ऊर्जा का केन्द्र अणुव्रत : एक सार्वजनिक मंच अणुव्रत की गूंज अणुव्रत का कवच शाश्वत सत्य : नयी प्रस्तुति मानवता का मानदण्ड अणुव्रत : एक प्रकाश स्तम्भ १४६ २७ १६ नैतिक नैतिक नैतिक नैतिक नैतिक बीती ताहि ज्योति से शांति के आलोक में आलोक में आलोक में समता/उद्बो समता/उदबो समता/उद्बो समता/उद्बो समता/उद्बो समता/उद्बो समता/उद्बो १४ १६९ ९६/९७ ७१/७१ ८४/८५ ७३/७३ ७८/७८ ९०/९१ १. १७-४-५४ बाव । २. १-३-५४ सुधरी। ३.७-७-५६ ४. १-१-५६ ५. ११-३-५६ अजमेर। ६. १९-९-७५ जयपुर। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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