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________________ ३४ सम्यक्त्व का दूषण : शका श्रद्धा और आचरण धर्म और सम्यक्त्व ' शांति का मार्ग दृष्टिभेद' श्रद्धा की निष्पत्ति श्रद्धा व आत्मनिष्ठा ज्ञान और दर्शन* सम्यक्त्व ५ दर्शन व उसके प्रकार सम्यग्दर्शन के दो प्रकार दर्शन के दो प्रकार ' सम्यग्दर्शन : मिथ्यादर्शन' श्रद्धा और चरित्र श्रद्धा और आचार की समन्विति " श्रद्धा : उर्वरा भूमि " श्रद्धाशीलता : एक वरदान सम्यक चारित्र चरित्र का मानदण्ड यंत्र का निर्माता यंत्र क्यों बना ? विकास की अवधारणा चरित्र सही तो सब कुछ सही प्रगति के लिए कोरा ज्ञान पर्याप्त नहीं मशीन का स्क्रू ढीला सबसे बड़ी पूंजी १. १३ - ६-५७ बीदासर । २. लाडनूं । ३. ४-१२-५६ दिल्ली । ४. १६-११-६५ दिल्ली । ५. २२-१२-७७ लाडनूं । ६. २१-८-७८ गंगाशहर । Jain Education International आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण मंजिल २ गृहस्थ / मुक्त घर घर घर गृहस्थ / मुक्तिपथ नवनिर्माण जागो ! प्रवचन ५ प्रवचन ८ प्रवचन ५ प्रवचन ५ प्रवचन ५ प्रवचन ९ आगे घर घर मनहंसा वैसाखियां वैसाखियां सफर / अमृत क्या धर्म समता भोर १८७ _१३७/१३२ १२९ ७४ For Private & Personal Use Only ७९ १३९ / १३४ १४१ १८७ १२६ २०४ ८३ ७९ ८९ ६१ १३४ १६९ २५० ७९ १७ १२३ १०९/१६९ ३८ २४६ १७२ ७. १०-१२-७७ लाडनूं । ८. ९-१२-७७ लाडनूं । ९. १२-१२-७७ लाडनूं । १०. ३१-३-६६ गंगानगर । ११. सुजानगढ़, अहिंसा दिवस पर प्रदत्त । www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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