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________________ साहित्य-परिचय "उत्तम पुस्तक महान आत्मा की प्राणशक्ति होती है" -मिल्टन की इस उक्ति को आचार्य तुलसी की प्रत्येक पुस्तक में चरितार्थ देखा जा सकता है। आचार्य तुलसी ने सलक्ष्य कुछ लिखा हो, ऐसा नहीं लगता पर सहज रूप से जो भी परिस्थिति उनके सामने आई, जो भी प्रसंग उनके सामने उपस्थित हुए या जिन भावों ने उन्हें उद्वेलित किया, वही सब कुछ कलम की नोक से या वाणी की शक्ति से मुखर हो गया । यह सब इतना स्वाभाविक एवं मार्मिक ढंग से चित्रित हुआ है कि किसी भी संवेदनशील पाठक का हृदय तरंगित एवं स्पंदित हुए बिना नहीं रह सकता। सन् १९५६ में जब आचार्य तुलसी दिल्ली पहुंचे, तब उनके प्रवचन को सुनकर बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' ने अपनी अनुभूति को शब्दों का जामा पहनाते हुए कहा-“आचार्य तुलसी का प्रवचन सुनकर मेरे हृदय में श्रद्धा का स्रोत बह चला । उनके प्रवचन में मुझे द्रष्टा की वाणी सुनाई दी। जो केवल पढ़ लेता है, वह ऐसा भाषण नहीं कर सकता । अनुभूति से ही ऐसा बोला जा सकता है । साधारण व्यक्ति आंखों देखी बात कहता है, इसलिए उसकी वाणी का कोई महत्त्व नहीं होता। अनुभूत वाणी में वेग होता है, उसका असर भी होता है। अनुभव तपस्या का फल है। आचार्यश्री का जीवन तपस्वी का जीवन है।" शरच्चंद्र कहते थे- "सबसे जीवंत और उत्प्रेरक रचना वही है, जिसे पढ़ने से लगे कि ग्रन्थकार अपने अन्दर की उर्वरा से सब कुछ बाहर फूल की भांति खिला रहा हो'- यह उक्ति आचार्य तुलसी के साहित्य की सफल कसौटी कही जा सकती है। __ आचार्य तुलसी की पुस्तकों का सबसे बड़ा वैशिष्ट्य यह है कि वे बृहत्तर मानव समाज की चेतना को झंकृत करके उनमें सांस्कृतिक मूल्यों को संप्रेषित करने में शत-प्रतिशत सफल हुए हैं। इसके अतिरिक्त विचारों की नवीनता के बिना कोई भी कृति अपनी अहमियत स्थापित नहीं कर सकती। आचार्य तुलसी ने लगभग सभी विषयों पर अपना मौलिक चिंतन प्रस्तुत किया है अतः उनके द्वारा लिखित पुस्तकों के अक्षरों के भीतर जो तथ्य उद्गीर्ण हुए हैं, उसे काल की अनेक परतें भी आवृत या धूमिल नहीं कर सकतीं। ___ महर्षि अरविंद मानते थे- "किसी भी सद्ग्रंथ की पहचान दो बातों Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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