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________________ १६२ आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण नियमों द्वारा एकता प्रतिष्ठित नहीं हो सकती। इसके लिए हृदय-परिवर्तन, समता और मैत्री तो अपेक्षित है ही, साथ ही यह भी आवश्यक है कि सत्ता से अलिप्त कोई ऐसा पराक्रम जागे, जो राष्ट्र का मार्गदर्शन कर सके तथा जनता को वास्तविक स्वतन्त्रता का अहसास करा सके । डा० के. के. शर्मा ने 'हिन्दी साहित्य के राष्ट्रीय काव्य' में राष्ट्रीय भावनाओं से सम्बन्धित निम्न विषयों का वर्णन किया है १. जन्मभूमि के प्रति प्रेम । २. स्वर्णिम अतीत के चित्र । ३. प्रकृति प्रेम। ४. विदेशी शासन की निंदा । ५. वर्तमान दशा पर क्षोभ । ६. सामाजिक सुधार - भविष्य निर्माण । ७. वीर पुरुषों या नेताओं की स्तुति । ८. पीड़ित जनता का चित्रण । २. भाषा-प्रेम। आचार्य तुलसी के साहित्य में लगभग इन सभी विषयों का विस्तृत विवेचन हुआ है। अनेक वक्तव्य एवं निबंध तो इतने भावपूर्ण हैं कि पढ़कर व्यक्ति के मन में राष्ट्र के लिए सब कुछ न्यौछावर करके उसके नव-निर्माण की भावना जाग जाती है। आचार्य तुलसी की राष्ट्रीय भावनाएं भौगोलिक सीमा में आबद्ध नहीं हैं । यद्यपि वे अपने को सार्वजनीन मानते हैं, अत: उनके विचार विशाल एवं व्यापक हैं, फिर भी भारत में जन्म लेने को वे अपना सौभाग्य मानते हैं। अपने सौभाग्य एवं दायित्वबोध को वे निम्न शब्दों में प्रकट करते हैं--- "मैं सौभाग्यशाली हूं कि भारत जैसे पवित्र देश में मुझे जन्म मिला, उसमें भ्रमण किया, उसके अन्न-जल का उपयोग किया और श्रद्धा एवं स्नेह को पाया। इसलिए मेरा फर्ज है कि समस्याओं के निदान और समाधान में त्याग और बलिदान द्वारा जितना बन सके, मानवता का कार्य करूं। मैंने अपने सम्पूर्ण सम्प्रदाय को इस दिशा में मोड़ने का प्रयास किया है। सचमुच, जिस महाविभूति का हर श्वास, हर वाणी राष्ट्रभक्ति के भावों से अनुप्राणित हो, उनके द्वारा किए जा रहे राष्ट्रीय एकता के कार्यों का सम्पूर्ण आकलन अनेकों लेखनियों से भी संभव नहीं है। १. हिन्दी साहित्य में राष्ट्रीय काव्य, पृ० १९ । २. एक बूंद : एक सागर, पृ. १७१५ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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