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________________ परिवर्तन का घटक धर्म समस्याएं हैं और वे सबके सामने स्पष्ट हैं। प्रश्न है उनके समाधान का। क्या उनका समाधान है या अनन्तकाल तक बनी रहेंगी? क्या हृदय-परिवर्तन किया जा सकता है? आज समस्त मानव जाति के सामने हिंसा, अपराध और आक्रमण की समस्याएं हैं। ये सबको परेशान कर रही हैं। इनसे भी बड़ी और जटिल समस्या है मानसिक तनाव की। क्या इन समस्याओं से बचा जा सकता है? गुरुदेव ने इन समस्याओं पर गंभीरता से चिंतन किया और समाधान के रूप में अणुव्रत आन्दोलन का प्रवर्तन किया। एक नवीन आचार और विचार प्रस्तुत किया। यह नया धर्म बन गया। आजादी के पूर्व लोगों का चिन्तन था कि स्वतंत्रता प्राप्त के बाद नए निर्माण होंगे। दूध-दही की नदियां बहेंगी। खुशहाली और अमन-चैन होगी। स्वतन्त्रता का अपना एक उन्माद होता है। परतन्त्रता के बाद स्वतन्त्रता मिलने पर चिन्तन और दृष्टिकोण में परिवर्तन आ जाता है। आजादी मिलने के बाद जो कल्पनाओं के महल खड़े थे, वे ढह गए, मोह भंग हो गया। राजनीतिक आजादी मिली, मानसिक गुलामी अपनी जगह कायम रही। गुरुदेव ने मूल सचाई को पकड़ा। अणुव्रत की परिवर्तन का घटक धर्म म १ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003116
Book TitleDharma ke Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages200
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size6 MB
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