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________________ ६६/भगवान् महावीर की महान् देन बतलाते हैं। बीज को देखने वाले कषाय-मुक्ति की साधना को महावीर की महान् देन बतलाते हैं। दोनों सापेक्ष हैं, इसलिए दोनों ही सत्य हैं। भगवान् महावीर ने कषाय-मुक्ति और अहिंसा को सर्वथा भिन्न रूप में नहीं देखा। जितनी कषाय-मुक्ति उतनी अहिंसा । जहां अहिंसा वहां निश्चित कषाय-मुक्ति। बीज छिपा रहता है, फल प्रकट हो जाता है। कषाय-मुक्ति छिपी रहती है, अहिंसा हमारे व्यवहार में उतरती है। महावीर ने कषाय-मुक्ति और अहिंसा को एक श्रृंखला में देखा इसीलिए उन्होंने अहिंसा को व्यापक संदर्भ में प्रस्तुत किया। व्यापक संदर्भ में अहिंसा का प्रस्तुतीकरण ही उनकी महान् देन है। भगवान् महावीर ने कहा-अहिंसा सब जीवों के लिए कल्याणकारी है। उससे सबका कल्याण होता है। सामाजिक जीवन जीने वाले मनुष्य-जाति का कल्याण तो उसी में है। सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए जैसे-जैसे हिंसा बढ़ रही है, वैसे-वैसे मनुष्य-जाति का कल्याण घट रहा है। ___ अपरिग्रह को छोड़कर अहिंसा को समझने का प्रयत्न करें तो भगवान् महावीर की अहिंसा को नहीं समझा जा सकता। संग्रह के लिए हिंसा और हिंसा के लिए संग्रह दोनों साथ-साथ चलते हैं। गौतम ने पूछा 'भंते! मनुष्य को बोधि प्राप्त हो सकती है?' 'हो सकती है।' 'भंते! वह कैसे प्राप्त होती है?' 'हिंसा और परिग्रह का त्याग करने से।' 'भंते! मनुष्य व्रती बन सकता है?' 'बन सकता है।' 'भंते! वह व्रती कैसे बन सकता है?' 'हिंसा और परिग्रह का त्याग करने से।' भगवान् महावीर की भाषा में जहां अहिंसा है वहां अपरिग्रह जुड़ा हुआ है और जहां अपरिग्रह है वहां अहिंसा जुड़ी हुई है। आज सत्ता और धन के संग्रह के प्रति हिंसा होती है तब हम सोचते हैं कि हिंसा बढ़ रही है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003115
Book TitleBhagvana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages110
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Principle
File Size5 MB
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