SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शकडाल ने अपने ज्येष्ठ पुत्र स्थूलभद्र के प्रति रही हुई हृदय की सघन चिन्ता व्यक्त की । चाणक्य विचारमग्न हो गया। महामंत्री ने कहा, 'उसके ज्ञान और संस्कारों के प्रति मैं पूर्ण निश्चिन्त हूं। राजनीति, तर्कशास्त्र, व्याकरण, संगीत, धर्मशास्त्र, जीवन - विज्ञान आदि विधाओं में वह निपुण है। उसका सादगीपूर्ण जीवन गौरव का विषय है। उसकी सौम्यता हृदय को सान्त्वना देने वाली है। उसकी श्रद्धा और भक्ति भी उत्तम है । यह सब होते हुए भी एक बात मैं आज तक नहीं समझ पा रहा हूँ कि इसमें ऐसा क्या है, जो वह मेरे से और मेरे कुटुम्ब से दूर-दूर जा रहा है ?' चाणक्य अपने गुरु की अन्तर्वेदना को समझने का प्रयत्न कर रहा था। महामंत्री ने कहा, 'संगीत के प्रति उसकी जो आसक्ति है, वह सीमा पार कर चुकी है। मुझे यह भी लगता है कि यह असीम आसक्ति उसे विराग की ओर ले जा रही है । ' 'आपने यह कैसे जाना ?' चाणक्य ने पूछा । 'उसका सारा समय एकान्त में और निस्संगता में बीत रहा है। वह सदा चिन्तनमग्न रहता है। उसमें राजकार्य के प्रति कोई ऊष्मा नहीं जागती है और न उसमें सम्पत्ति के प्रति कोई आकर्षण ही है। इस परिस्थिति से मैं बहुत चिन्तित हूं। मगध साम्राज्य की बागडोर उसके हाथ में आने वाली है। जिस स्वामित्व या सौभाग्य के लिए मगध के अनेक राजपुरुष आज तप तप रहे हैं, वह सौभाग्य स्थूलभद्र के चरणों में लुट रहा है। फिर भी उसके मन में न कोई उमंग है और न कोई तमन्ना । ' चाणक्य गुरुदेव की अन्तर्व्यथा को समझ गया । पल भर विचार कर वह बोला, 'मैं बहुत बार उसके साथ चर्चा करता रहा हूं। उसके विचार मेरे पर कुछ ही छाप छोड़ जाते हैं।' 'क्या ?' उत्सुकता से महामंत्री ने पूछा । 'स्थूलभद्र के हृदय में अध्यात्म रस पुष्ट हो रहा है। उनकी आकृति राजर्षि के समान है। उनके सामुद्रिक चिह्न बहुत शुभ हैं।' चाणक्य ने कहा । आर्य स्थूलभद्र और कोशा Jain Education International For Private & Personal Use Only २४ www.jainelibrary.org
SR No.003105
Book TitleArya Sthulabhadra aur Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal C Dhami, Dulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy