SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०६ : भिक्षु विचार दर्शन के करवाये और तीसरा करने वालों का अनुमोदन' करे ये तीनों एक कोटि में हैं। १ मनुष्य तीन प्रकार के होते हैं - असंयमी, संयमासंयामी और संयमी । आचार्य भिक्षु के पास धर्म और अधर्म की कसौटी थी - संयम और असंयम । जो कार्य संयम की कसौटी पर खरा उतरे वह धर्म और खरा न उतरे वह अधर्म । संयम धर्म है और असयंम अधर्म । इस मान्यता में संभवतः मतभेद नहीं है । मतभेद इसमें है कि किस कार्य को संयम में गिना जाए और किस को असंयम में। आचार्य भिक्षु के अनुसार जो संयमी नहीं हैं उनके जीवन-निर्वाह के सारे उपक्रम असंयम में हैं, इसलिए धर्म नहीं हैं । कुछ लोग कहते थे - असंयमी स्वयं खाएं वह पाप है और दूसरों को खिलाए वह धर्म है । आचार्य भिक्षु ने कहा- असंयमी स्वयं खाएं वह पाप और दूसरे असंयमी को खिलाए वह धर्म, यह कैसे ? असंयमी का खाना यदि असंयम में है तो असंयम का सेवन करना, कराना - दोनों एक कोटि के कार्य हैं। इनमें से एक को पाप, एक को धर्म कैसे माना जाए? असंयमी कोई वस्तु अपने अधिकार में रखता है वह पाप है तो उस वस्तु को दूसरे असंयमी के अधिकार में देने से धर्म कैसे होगा ? यह दृष्टिकोण विशुद्ध आध्यात्मिक होने के कारण लौकिक दृष्टि से मेल नहीं खाता है फिर भी उन्होंने जो तर्क उपस्थित किया है, वह बहुत ही महत्त्वपूर्ण है १. व्रताव्रत, ५.११ : इविरत सूं बंधे कर्म, तिणमें नहीं निश्चये धर्म । तीनूं करण सारिखा ए ते विरला पारिखा ए ॥ २. वही, १६, दू. ७-८ : तिण खाणो पीणो ने पेहरणों, वले उपधि उपभोग परिभोग । ते सगलाइ राख्या ते इविरत में, त्यानें भोगव्यां सावध जोग || भोगवे ते पेहले करण पाप छे, भोगवावे ते दूजे करण जाण । सरावे ते करण तीसरे, सारां रे पाप लागे छे आण॥ ३. वहीं, १.७ खायां पाप खवायां धर्म, ए अन्यतीर्थी री वायो रे । विरत इविरत री खबर न कांइ, भोलां ने दे भरमायो रे || Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003095
Book TitleBhikshu Vichar Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy