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________________ राजतंत्र का सूत्रपात हमारी दुनिया द्वन्द्वात्मक है। जहां द्वन्द्व है वहां समस्याओं का होना अनिवार्य है । कहा जाता है— आज बहुत समस्याएं हैं पर सच्चाई यह नहीं है। अतीत में भी बहुत सारी समस्याएं थीं। किसी भी युग के दस्तावेज को देखें, उसमें यही परिलक्षित होगा — जमाना बहुत खराब है। चाहे दो सौ वर्ष पहले के दस्तावेज को देखें, चाहे दो हजार वर्ष पहले के दस्तावेज को देखें, यही स्वर मुखरित होगा - आज जमाना बहुत खराब आ गया है । यह शाश्वत सत्य है । समस्याएं सदा रही हैं। भ्रष्टाचार, अनैतिक व्यवहार आदि न जाने कितने दोषारोपण इस कलिकाल पर किए जाते हैं । यदि हम प्राचीनकाल में जाएं, यौगलिक युग पर दृष्टि डालें - तो वहां भी ये समस्याएं परिलक्षित होंगी। आज कहा जाता है - इस वैज्ञानिक युग में, औद्योगिक युग में अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। वह भी एक जमाना था, जब अपराध तेजी से बढ़ रहे थे, एक के बाद एक समस्या उभरती चली जा रही थी, दण्डनीति का प्रवर्तन आवश्यक था । कुल व्यवस्था : कुलकर अपराध और अव्यवस्था के नियमन के लिए उस समय 'कुल' व्यवस्था का विकास हुआ। उसके मुखिया 'कुलकर' कहलाए। कुलकर सात हुए हैं विमलवाहन ● चक्षुष्मान् • यशस्वी अभिचंद्र प्रसेनजित • मरुदेव • नाभि हाकार नीति कुलकर व्यवस्था में तीन दंडनीतियां प्रचलित हुईं। प्रथम कुलकर विमलवाहन For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.003093
Book TitleRushabh aur Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages122
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size5 MB
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