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________________ शक्ति ही जीवन है, कमजोरी ही मौत है १ अपने को हीन एवं असमर्थ मानना तथा कोसते रहना क्या अपना और अपनी शक्तियों का अपमान नहीं है ? २ कुदरत कमजोरों से नफरत करती है । ३ विश्व के आंचल में अनेक सौन्दर्य के रत्न छिपे पड़े हैं यदि हम अपनी शक्तियों पर विश्वास रख उन्हें पाने का प्रयत्न करेंगे तो वे अवश्य प्राप्त हो जाएंगे । ४ मनुष्य कमजोर और निःसहाय नहीं है । उसका भय ही उसकी कमजोरी है, उसके दुःख ही उसकी मजबूरियां हैं और उसके भावात्मक विकार ही उसकी समस्या है | ५ तुफानी घोड़े को रस्सी की ढील देकर उसे चाहे जहां जाने देने के लिए अधिक सामर्थ्य की जरूरत नहीं, यह तो कोई भी कर सकता है, किन्तु रस्सी खींचकर उसे खड़ा रखने में कौन समर्थ है ? ६ अपने ही बल से पाये धन का भोग सुखकर होता है । ७ दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है— कामना, वासना एवं इच्छा का नियंत्रण करना । ८ सामर्थ्य के हाथी पर जब विवेक का अंकुश नहीं रहता है तो वह रौंदने और कुचलने में ही जुट जाता है । & अज्ञान एक अपूर्णता है, शक्तिहीनता एक अपूर्णता है, सुखदुःख की अनुभूति एक अपूर्णता है । १० शक्तियों में सबसे बड़ी शक्ति होती है— आत्म विश्वास की । ११ कमजोर आदमी बहुत बड़ा अच्छा काम नहीं कर सकता तो बहुत बड़ा बुरा काम भी नहीं कर सकता । १२ स्वास्थ्य, वैभव और चातुर्य यदि कम पड़ता है तो चिन्ता न करो । चिन्ता की बात एक ही है-आत्मगौरव का भान न होना और आत्मबल का घट जाना । शक्ति ही जीवन है, कमजोरी ही मौत है। Jain Education International For Private & Personal Use Only २३ www.jainelibrary.org
SR No.003089
Book TitleYogakshema Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjana Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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