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________________ 6 जैन परम्परा का इतिहास डरा या दूसरे को डराया, प्राणी की हत्या की, चोरी की, डकैतो की, घर लूट लिया, बटमारी की, परस्त्रीगमन किया, असत्य वचन कहा, फिर भी उसको पाप नहीं लगता। तीक्ष्ण धार के चक्र से भी अगर कोई इस संसार के सब प्राणियों को मारकर ढेर लगा दे तो भी उसे पाप न लगेगा। गंगा नदी के उत्तर किनारे पर जाकर भी कोई दान दे या दिलवाए, यज्ञ करे या करवाए, तो कुछ पुण्य नहीं होने का । दान, धर्म, संयम, सत्य-भाषण-इन सबों से पुण्य-प्राप्ति नहीं होती ।" इस वाद को अक्रियावाद कहते थे। २. नियतिवाद इस संघ का आचार्य मंक्खली गोशालक था। उसका कहना था-"प्राणी के अपवित्र होने में न कुछ हेतु है, न कुछ कारण । वे बिना हेतु के और बिना कारण के ही अपवित्र होते हैं। प्राणी की शुद्धि के लिए भी कोई हेतु नहीं है, कुछ भी कारण नहीं है । बिना हेतु के और बिना कारण के ही प्राणी शुद्ध होते हैं। खुद अपनी या दूसरे की शक्ति से कुछ नहीं होता । बल, वीर्य, पुरुषार्थ या पराक्रम यह सब कछ नहीं है। सब प्राणी बलहीन और निर्वीर्य हैं-वे नियति [भाग्य] संगति और स्वभाव के द्वारा परिणत होते हैं- अक्लमंद और मूर्ख सबों के दुःखों का नाश अस्सी लाख के महाकल्पों के फेर में होकर जाने के बाद ही होता है।" इस मक्खली गोशालक के मत को संसार शुद्धिवाद कहते थे । इसी को नियतिवाद भी कह सकते ३. उच्छेदवाद इस संघ का प्रमुख अजितकेशकंबली था। उसका कहना था"दान, यज्ञ तथा होम, यह सब कुछ नहीं है, भले-बुरे कर्मों का फल नहीं मिलता । न इहलोक है, न परलोक है । चार भूतों से मिलकर मनुष्य बना है। जब वह मरता है तो उसमें पृथ्वी धातु पृथ्वी में, आपो धातु पानो में, तेजो धातु तेज में तथा वायु धातु वायु में मिल जाता है और इन्द्रियां सब आकाश में मिल जाती हैं। मरे हए मनुष्य को चार आदमी अर्थी पर सुलाकर उसका गुणगान करते हुए ले जाते हैं। वहां उसकी अस्थि सफेद हो जाती है और आहति जल जातो है । दान का पागलपन मूों ने उत्पन्न किया है । जो आस्तिकवाद कहते हैं, वे झूठ भाषण करते हैं । व्यर्थ की बड़-बड़ करते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003083
Book TitleJain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1958
Total Pages158
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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