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________________ अहिंसक समाज-संरचना कैसे होगी १२१ की भूमिका में उसका अवतरण अल्पकाल और साधारण प्रयत्न साध्य नहीं है। निष्कर्ष की भाषा में निकट भविष्य में उसकी सम्भावना नहीं है। मूल्यों का परिवर्तन ___ अहिंसक समाज की संरचना के सामने सबसे बड़ी समस्या है-मूल्यों का परिवर्तन । श्रम, वस्तु और संग्रह के मूल्य बदले बिना अहिंसक समाज-रचना की संभावना नहीं की जा सकती । अहिंसक समाज की स्थापना में सबसे बड़ी बाधा है स्वार्थ । वह वैयक्तिक बड़प्पन और सुखानुभूति की प्रेरणा है। उसे कैसे बदलें ? क्या जनसाधारण किसी सैद्धान्तिक प्रेरणा को सामाजिक स्तर पर स्वीकार करने को तैयार हो सकता है? इसमें भी हित-साधन की भावना कुछ ही लोगों में जागृत होती है। अधिकांश लोग अपने हित-साधन की चेष्टा में लगे रहते हैं । इस समस्या का आधारभूत आश्वासन यह है कि मानव-स्वभाव सतत गतिशील और विकासशील है । यदि समाज की धारा को एक ही धारा में प्रवाहित किया जाए तो स्वार्थ-संयम की बात उसके संस्कारों में रूढ़ हो सकती है । इस कार्य की निष्पत्ति में आध्यात्मिक वातावरण, आंशिक रूप में सामाजिक दबाव और सत्याग्रह अत्यन्त उपयोगी हो सकते हैं । स्वार्थ-शासित समाज में नैतिकता, श्रम और स्वावलंबन का अवमूल्यन हो जाता है। करूणा-शासित समाज में नैतिकता, श्रम और स्वावलंबन का मूल्य बढ़ जाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003081
Book TitleMeri Drushti Meri Srushti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages180
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size8 MB
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