SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 129
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११. ओम् अभिव्यक्ति के दो साधन-अक्षरश्रुत और अनक्षरश्रुत । शब्द ज्ञान का वाहक। शब्द का प्रकाश डालने वाले दो शास्त्र-शब्दशास्त्र और मंत्रशास्त्र । मंत्रशास्त्र के अनुसार शब्द की तीन अवस्थाएं-संजल्प, अन्तर्जल्प और ज्ञानात्मक। अक्षर के तीन प्रकार। सोऽहं का महत्त्व। ओम् की निष्पन्नता के विविध दृष्टिकोण । ओम् एकाक्षरी मंत्र। इसके जाप से होने वाला लाभ। मंत्र-जाप में उच्चारण का महत्त्व । ओंकार के साथ रंगों का योग। • • ओंकारं बिंदुसंयुक्तं, नित्यं ध्यायन्ति योगिनः। कामदं मोक्षदं चैव, ओंकाराय नमो नमः।। हम सब दो प्रकार के जगत् में जीते हैं। एक हमारा आध्यात्मिक जगत् है, आंतरिक जगत् है और दूसरा बाह्य जगत् । अन्तर्जगत् में हम अकेले होते हैं और बाह्य जगत में हमारा समाज होता है। हमारा ज्ञान का जीवन अन्तर जगत् है। वह सदा भीतर रहता है, कभी बाहर नहीं आता। यदि मनुष्य कोरा ज्ञानी ही होता तो वह नितांत अकेला होता। वह सामाजिक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003073
Book TitleEso Panch Namukkaoro
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy