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________________ सत्य की खोज के दो दृष्टिकोण सत्य और मिथ्या - इन दो शब्दों से हम बहुत परिचित हैं। एक धारणा है - सत्य से समस्या उलझती है। दूसरी धारणा यह है - सत्य से समस्या सुलझती है। एक न्यायाधीश ने अपराधी से कहा- बोलो, सच-सच कहोगे ? अपराधी असमंजस में पड़ गया। न्यायाधीश ने कहा- तुम जानते हो, झूठ बोलने का परिणाम क्या होगा ? उसने कहा- नरक न्यायाधीश ने पूछा- सच बोलने का परिणाम ? उसने कहा- सच बोलने का परिणाम होगा कारावास । यह एक धारणा है- सच बोलने वाला जेल में जाता है। इस व्यावहारिक धारणा के ठीक विपरीत दूसरी धारणा यह है - जितना मिथ्या दृष्टिकोण चलता है उतना ही आदमी दुःखी बनता है। सारे दुःखों को मिटाने का एक ही उपाय है- सत्य की खोज, सत्य के सामने चले जाना । सत्य के दो प्रकार सत्य को समझना बड़ा मुश्किल है। सत्य इतना सूक्ष्म है कि वहां तक पहुंचना कठिन है। भगवान् महावीर ने सत्य की खोज के दो कोण बतलाए । सत्य दो प्रकार का होता है - स्थूल सत्य और सूक्ष्म सत्य । कौआ काला होता है । वह काला है, यह सत्य है पर स्थूल सत्य है। हंस सफेद होता है, यह सत्य है किन्तु स्थूल सत्य है । यह सूक्ष्म सत्य नहीं है। सूक्ष्म सत्य है - कौआ काला भी है, सफेद भी है, पीला भी है, भी है, नीला भी है। उसमें पांचों वर्ण हैं। इन पांचों रंगों को एक साथ पकड़ना - यह है सूक्ष्म सत्य और केवल एक रंग को पकडना - यह है लाल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003072
Book TitleSamaysara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size6 MB
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