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________________ ४. अहिंसा और आहार जीवन के दो आधारभूत तत्त्व हैं-श्वास और आहार। श्वास का अर्थ है जीवन । आहार का अर्थ है जीवन । इन दोनों के बिना जीवन चलता नहीं । श्वास बंद, जीवन की यात्रा संपन्न । आहार बंद तो कुछ ही दिनों में जीवन की यात्रा संपन्न । मनुष्य ही नहीं, प्रत्येक प्राणी आहार और श्वास के पल पर जीता है। एक छोटे से छोटा वनस्पति का प्राणी भी श्वास लेता है, आहार लेता है, इसीलिए जीता है। आहार जीवन का आधारभूत तत्त्व है । आहार से जुड़े कुछ तत्त्व आहार के विषय में विमर्श होता रहा है। इस विमर्श के अनेक कोण रहे हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से आहार पर विचार किया गया कि स्वस्थ व्यक्ति का आहार कैसा होना चाहिए? इस पर बहुत सूक्ष्मता से चिंतन किया। ऋतु के आधार पर भी मीमांसा प्राप्त है। सर्दी की ऋतु का आहार एक प्रकार का होता है और गर्मी की ऋतु का आहार भिन्न प्रकार का होता है। वर्षा ऋतु का आहार इन दोनों से भिन्न प्रकार का होता है। इससे भी सूक्ष्म विचार केया गया कि ये तो वर्ष में आने वाली तीन ऋतुएं हैं, पर एक दिन में भी ये तीनों ऋतुएं आती हैं, प्रातःकाल का आहार कैसा होना चाहिए ? मध्याह्न का आहार कैसा होना चाहिए ? सायंकालीन आहार कैसा होना चाहिए ? इस प्रकार अनेक पहलुओं से आहार पर चिंतन किया गया। आहार का सम्बन्ध ब्रह्मचर्य के साथ भी जोड़ा गया। विचार किया गया कि ब्रह्मचारी का आहार कैसा होना चाहिए ? सात्विक वृत्ति में जीने वाले का आहार कैसा होना चाहिए ? व्यक्ति की भावनात्मक धारा को सात्विक रखने में कौन-सा आहार उपयोगी होता है ? इन सब आधारों पर आहार के विषय में अनेक विधियां और वर्जनाएं दी गईं। बताया गयाअमुक प्रकार का भोजन करना चाहिए और अमुक प्रकार का भोजन नहीं करना चाहिए। आहार का प्रस्तुत संदर्भ ____ आहार की यह प्रस्तुत चर्चा मैं न स्वास्थ्य की दृष्टि से कर रहा हूं और न ब्रह्मचर्य की दृष्टि से कर रहा हूं। मेरे सामने चर्चा का एकमात्र पहल है अहिंसा । क्या आहार का और हिंसा का कोई संबंध है ? क्या आहार का और अहिंसा का कोई सम्बन्ध है ? इस सम्बन्ध की खोज करनी है। सूक्ष्म Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003065
Book TitleAhimsa ke Achut Pahlu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Religion
File Size9 MB
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