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________________ रसोई कभी नहीं बनेगी। काम करना है तो चंचलता करनी होगी। मन का काम चंचलता पैदा करना है। वचन और काया का काम भी चंचलता पैदा करना है। चंचलता इसका स्वभाव है, प्रकृति है। प्रतिसंलीनता करनी है तो इनकी दिशा बदलनी होगी। साधना के द्वारा प्रतिसंलीनता कर मन को स्थिर किया जा सकता है, वाणी को स्थिर किया जा सकता है, काया को स्थिर किया जा सकता है। एक ओर है प्रकृति का अनुदान और दूसरी ओर है साधना का प्रयत्न। साधना के प्रयत्न के द्वारा हम प्राकृतिक अनुदानों को बदल सकते हैं। इन प्राकृतिक अनुदानों को बदलने का नाम ही है साधना और यही है कषाय को मन्द करने की प्रक्रिया। ___भगवान महावीर ने आत्म-नियंत्रण के, लेश्या-शुद्धि के, अध्यवसाय-शुद्धि के तीन बाहरी सूत्र बतलाए, जो बाहर से हमें प्रभावित करते हैं। वे तीन सूत्र हैं-उपवास, कायोत्सर्ग और प्रतिसंलीनता। ये तीन बाहरी सूत्र हैं जो हमारे कषाय को मंद करते हैं, लेश्या को शुद्ध करते हैं, अध्यवसाय को पवित्र बनाते हैं। जब ऐसा होता है तब कषाय अपने-आप मंद हो जाता है। कषाय को मंद करने के लिए भी हमें एक क्रम से चलना होगा। यदि सीधे ही हम कषाय को मंद करने चलेंगे तो विफल हो जाएंगे। क्योंकि कषायों का इतना तेज आक्रमण है कि हम उसे सहन नहीं कर पाएंगे। इसलिए हमें सबसे पहले यह सोचना होगा कि कषायों को पोषण कहां से मिलता है? जिस मार्ग से उन्हें पोषण मिलता है, हम उस मार्ग को नष्ट ही कर डालें। जब पोषण बन्द हो जाता है, तब कषाय मंद हो जाता है। मन, वचन और काया-ये तीन माध्यम हैं। इन तीनों के द्वारा मैल जब अन्दर पहुंचता है, तब इन तीनों के द्वारा कषाय पुष्ट होते हैं। जब हम मन, वचन और काया के प्रति जागरूक होते हैं, अनशन शुरू कर देते हैं, काय-क्लेश और प्रतिसंलीनता शुरू कर देते हैं तो कषाय को मिलने वाला पोषण बन्द हो जाता है। जब पोषण नहीं मिलता, बाहर की रसद प्राप्त नहीं होती, तब धीरे-धीरे मूल नष्ट हो जाता है। उसका बल क्षीण हो जाता है। जब हमारा कषाय मंद होता चला जाएगा, तब चैतन्य की रश्मियां अपने-आप बाहर फूटेंगी। अच्छे-बुरे का नियंत्रण कक्ष ३७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003062
Book TitleAbhamandal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size11 MB
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