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________________ होता है और जब आप उसे पैदा नहीं करते, वह उत्पन्न ही नहीं होता। जब आदमी मनोवर्गणा के पुद्गलों को ग्रहण करता है तब मन उत्पन्न हो जाता है। जब आपने मनोवर्गणा के पुद्गलों को ग्रहण करने की भावना नहीं की तो मन नहीं बनेगा। मन को जब चाहें तब पैदा कर सकते हैं और जब चाहें तब पैदा नहीं भी कर सकते। वचन को भी चाहें पैदा कर सकते हैं, नहीं चाहें तो पैदा नहीं कर सकते। शरीर की बात थोड़ी भिन्न पड़ती है, क्योंकि उसके साथ एक बार जब सम्बन्ध जोड़ लिया जाता है तब शरीर की प्रवृत्ति चालू हो जाती है। पर शरीर का प्रयोग हम चाहें तो कर सकते हैं, न चाहें तो नहीं कर सकते। प्रयोग में दोनों-तीनों समान हैं। इसलिए इस बात को बहुत गहरे में जाकर हम समझें कि हमें शरीर के प्रति जागृत होना है, वचन के प्रति जागृत होना है और मन के प्रति जागृत होना है। हमें जागृत इसलिए होना है कि इन तीनों का कोई दोष न आने पाए। बाहरी परिस्थिति का इन पर कोई प्रभाव न हो। यदि ऐसा होगा तो ये अच्छे रह पाएंगे। क्रिया-तंत्र स्वस्थ रहेगा तो वह भीतर से आने वाले प्रवाह की क्रियान्विति करे या न भी करे। यह उसके अधीन की बात होगी। नौकर कभी-कभी काम करने से इनकार भी कर सकता है। काम करवाने के लिए उसे राजी रखना पड़ता है। राजी रखे बिना कर्मचारी पूरा सहयोग नहीं करता। हमारे अध्यवसाय जब क्रियातंत्र को राजी रखते हैं, तो वह उनका पूरा काम करता है, उनका पूरा सहयोग करता है। यदि हम उल्टा चलें-क्रिया तंत्र को हम बाहर से राजी रखना शुरू कर दें और अध्यवसाय तंत्र को असहयोग करना सिखा दें तो हमारी साधना की पहली मंजिल तय हो जाएगी। इसलिए उपशमन की प्रक्रिया में हमें मन पर जागृत होना है, वचन पर जागृत होना है और शरीर पर जागृत होना है। क्षय की प्रक्रिया इससे भिन्न है। दोषों को क्षीण करने के लिए हमें जहां जागना है, उसकी कोई दूसरी पद्धति है। इस पद्धति पर हम और कभी विचार करेंगे। हमारे अभ्यास का क्रम है-श्वास-प्रेक्षा, शरीर-प्रेक्षा और लेश्या-ध्यान। यह सारा इसीलिए चल रहा है कि बाहरी रंगों को भी हम अपने भावों २४ आभामंडल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003062
Book TitleAbhamandal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size11 MB
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