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________________ एक तर्क दिया जाता है कि पशु नंगा रहता है पर भद्दा नहीं लगता। पशु मुक्त-यौनाचार करता है उसे संकोच नहीं होता, लज्जा का अनुभव नहीं होता। जब पशु ऐसा करता है फिर मनुष्य क्यों न करे? 'संभोग से समाधि' जैसे सिद्धान्तों में ऐसे तर्क दिए जाते हैं। कितना हास्यास्पद है! आज यदि समूचा मानव-समाज पशु बन जाए और फिर इन प्राकृतिक नियमों का उपयोग करे तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। एक ओर तो मनुष्य पाशविक नियमों को छोड़कर नये समाज का निर्माण करना चाहता है और न जाने कितने गुण-धर्मों का विकास करना चाहता है, दूसरी ओर काम-वासना की तृप्ति के लिए पशु के गुण-धर्मों का उपयोग कर मुक्त भोगेच्छा को समर्थित करना चाहता है, यह कैसा द्वैध! क्रोध स्वाभाविक है। काम स्वाभाविक है। भय स्वाभाविक है। इन्हें सीखना नहीं पड़ता। स्वाभाविक का अर्थ है जिसे सीखना नहीं पड़ता। जो जन्म से साथ-साथ आता है, वह होता है स्वाभाविक । क्रोध सीखना नहीं पड़ता। क्षमा सीखनी पड़ती है। भय सीखना नहीं पड़ता, अभय सीखना पड़ता है। अब्रह्मचर्य सीखना नहीं पड़ता, ब्रह्मचर्य सीखना पड़ता है। __इस प्रकार कुछ नैसर्गिक हैं और कुछ साधनालब्ध। नैसर्गिक को ही सब कुछ मानकर चलने पर समाज नहीं बनता। मनुष्य ने इन सारी नैसर्गिक बातों को उदात्त किया है। उनका मार्गान्तरीकरण कर मनुष्य ने अनेक विशेषताएं अर्जित की हैं। यदि मनुष्य की सारी ऊर्जा प्राकृतिक नियमों को पूर्ण करने में ही बहती तो आज मनुष्य इतना ज्ञानी नहीं होता, इतना कला-निपुण नहीं होता। वह न सत्यों की खोज कर पाता और न सूक्ष्म रहस्यों से परिचित हो पाता। मनुष्य ने जो महानताएं, विशेषताएं उपलब्ध की हैं, वे अपनी ऊर्जा का दिशान्तरण करके ही की हैं। एक व्यक्ति सत्य की खोज में लगा, धर्म की साधना में लगा और सारा जीवन उसमें लगा डाला। उसकी ऊर्जा सत्य की खोज में लगी और उसने जगत् को नये-नये सत्यों से भर डाला। सारा संसार उनसे उपकृत हुआ। जब-जब भी आदमी ने बड़ा काम किया है, वह अपने अनुराग के प्रवाह को दिशान्तरित करके ही किया है। वाचस्पति मिश्र ने एक आभामण्डल और शक्ति-जागरण (१) १७५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003062
Book TitleAbhamandal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size11 MB
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