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________________ तत्त्वविद्या ११५ अस्तित्व भी है। चेतन और अचेतन की वास्तविक सत्ता ही यह जगत् है ।' यह जगत् अनादि-अनन्त है। चेतन अचेतन से उत्पन्न नहीं है और अचेतन चेतन से उत्पन्न नहीं है। इसका अर्थ यह है कि जगत् अनादिअनंत है। यह व्याख्या द्रव्य-स्पर्शी नय के आधार पर की जा सकती है, किन्तु रूपान्तर-स्पर्शी नय की व्याख्या इससे भिन्न होगी। उसके अनुसार यह जगत् सादि-सान्त भी है। इसका अर्थ यह है कि जगत् के घटक तत्त्व अनादि-अनंत हैं और उनके रूप सादि-सांत हैं । जीव अनादि-अनंत हैं, किंतु एकेन्द्रिय जीव प्रवाह की दृष्टि से अनादि-अनंत हैं और व्यक्ति की दृष्टि से सादि-सान्त हैं। इसी प्रकार अजीव भी अनादि-अनंत हैं किन्तु परमाण प्रवाह की अपेक्षा अनादि-अनंत है और व्यक्ति की दृष्टि से सादि-सान्त है।' जैन दार्शनिक इस सिद्धान्त में विश्वास नहीं करते कि असत् से सत् उत्पन्न होता है। इसका अर्थ यह है कि जगत् में नए सिरे से कुछ भी उत्पन्न नहीं होता। जो जितना है, वह उतना ही था और उतना ही रहेगा। यह मौलिक तत्त्व की बात है। रूपान्तरण की दृष्टि से असत् से सत् उत्पन्न होता भी है । जो एक दिन पहले असत् होता है, वह आज सत् हो जाता है और जो आज सत् होता है, वह कल फिर असत् हो सकता है। जिसे हम जगत् कहते हैं, उसकी सृष्टि का मूल यह रूपान्तरण ही है । जैन दार्शनिकों के अनुसार जगत् के घटक तत्त्व दो हैं-जीव और अजीव । शेष सब इनका विस्तार है। संसार में जितने द्रव्य हैं, वे सब इन दो द्रव्यों के ही भेद-उपभेद हैं। उनमें कुछ ऐसे हैं, जो हमारे लिए दृश्य हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो हसारे लिए दृश्य नहीं हैं। अजीव के पांच प्रकार हैंधर्मास्तिकाय गतितत्त्व। अधर्मास्तिकाय- स्थितितत्त्व । आकाशास्तिकाय- अवकाशतत्त्व। काल परिवर्तन का हेतु। पुद्गलास्तिकाय- संयोग-वियोगशील तत्त्व । मूर्त-अमूर्त भारतीय तत्त्ववेत्ता तीन हजार वर्ष पहले से ही मूर्त और अमूर्त का विभाग मानते रहे हैं । शतपथ ब्राह्मण में लिखा है कि ब्रह्म के दो रूप हैं१. उत्तराध्ययन, ३६।२ । ३. वही, ३६।१२-१३ । २. वही, ३६१७८-७६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003060
Book TitleSanskruti ke Do Pravah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages274
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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