SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 73
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ यह कान हमारे शरीर का बहुत महत्त्वपूर्ण चैतन्यकेन्द्र (साइकिक सेण्टर) है। नशे की आदत छुड़ाने के लिए इस पर ध्यान का प्रयोग किया जाए तो नशे की आदत स्वतः छूट जाएगी। व्यक्ति को यह कहना नहीं पड़ेगा कि तुम नशा मत करो, सिगरेट मत पियो, शराब मत पियो । इस प्रयोग के साथ-साथ रासायनिक क्रिया बदलनी शुरू हो जाएगी और नशे की आदत अपने आप छूट जाएगी। विकल्प के अभाव में एक मादक वस्तु का नाम है मार्फीन। डॉक्टर भी अफीम का उपयोग दवा में करते हैं। मार्फिया का इंजेक्शन लगाते हैं। आधुनिक खोजों से ज्ञात हुआ है-हमारा शरीर स्वयं इन्डोरफीन नाम का रसायन पैदा करता है। जब-जब इन्डोरफीन पैदा होता है, मार्फिया की कोई आवश्यकता नहीं रह जाती। यह एक तथ्य है-कोई कठिनाई का, दुःख का जीवन जीना नहीं चाहता, मानसिक तनाव और व्यथा का जीवन जीना नहीं चाहता। वह इनसे राहत पाना चाहता है। इसके लिए वह विकल्प खोजता है। कोई विकल्प नहीं मिलता है तो वह सीधा नशे के विकल्प की ओर मुड़ जाता है। डॉक्टर ऑपरेशन के समय एनेस्थेसिया के इंजेक्शन का प्रयोग करते हैं, रोगी को कोई कष्ट नहीं होता। चाहे जितना मेजर ऑपरेशन हो, पता ही नहीं चलता। संवेदनाओं का रास्ता बन्द कर दिया जाता है, संवेदन मस्तिष्क तक पहुंचने से रोक दिए जाते हैं तो हमें किसी प्रकार की पीड़ा का अनुभव नहीं होता। नींद और क्या है ? मादकता ही तो है। भगवान् महावीर ने नींद को भी प्रमाद माना है। विषय भी प्रमाद है, लड़ना-झगड़ना भी प्रमाद है। नशामुक्ति का उपाय नशा, अपराध तब वर्जित हो सकता है, जब हमारी चेतना जागरूक बने। जागरूक रहना है तो सामने वाले को न देखें, अपने हाथ-पैर को भी न देखें, केवल कान पर ध्यान केन्द्रित कर दें, निश्चित ही आप जागरूक रहेंगे और आपकी चेतना पवित्र बन जाएगी। यह एक सुन्दर उपाय है नशामुक्ति का। नशा और अपराध की मुक्ति के लिए हमें एक ही तत्त्व की खोज करनी है, कहां से आती है अपराध चेतना ? : ५५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy