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________________ ७० पावस-प्रवास ३ बली xxx mr चा० सं० अनगण्य नाम (दो० ऋ०) गांव ठाणा सहयोगी मुनि १९८४ मुनिश्री हुलासमलजी (३८१) लाडनूं ३ सुपार्श्वमलजी (बीदासर) देवीचंदजी (बीकानेर) १९६० , बच्छराजजी (३४३) मोखणुंदा ३ कनकमलजी (पुर) हजारीमलजी (श्रीडूंगरगढ़) १९६२ , मगनमलजी (३५४) , ३ दौलतरामजी (केलवा) सुमेरमलजी (सिसाय) १६६४ , किशनलालजी (३६६) सुजानगढ़ ३ तोलारामजी (सुजानगढ़) प्रतापमलजी (गंगाशहर) १९६६ , वृद्धिचंदजी (३८२) बागोर ३ दुलीचंदजी (साजनवासी) पांचीरामजी (मोमासर) १६६७ साध्वीश्री मघूजी (५६३) रीड़ी १९६६ , बख्तावरजी (६४६) मोखणुंदा २००१ , दाखांजी (६५३) खरणोटा २००३ मुनिश्री दुलीचंदजी (५४२) सरदारशहर ३ जयचन्दलालजी (छापर) मोतीलालजी (श्रीडूंगरगढ़) २००५ साध्वीश्री सुन्दरजी (८६७) , २००७ , रतनांजी (६२४) सुजानगढ़ २०१२ मुनिश्री केशरीमलजी (४३८) पचपदरा २ चन्दनमलजी (सरदारशहर) २०१७ साध्वीश्री हुलासांजी (७५६) सिरसा गंगापुर (राज. उदयपुर संभाग) १८६१ मुनिश्री स्वरूपचंदजी (६२) रोयट १८६२' , , , , १६०० , शिवजी (८२) देवगढ़ १९१० साध्वीश्री मोतांजी (१३६) गोगुंदा , रंगूजी (१५४) , १६१२ , नवलांजी (२४०) पाली १९१३ , दीपांजी (६०) जोजावर १९१५ , अमृतांजी (१०६) गोगुंदा १. बड़े संतों के कल्प से चातुर्मास किया। २. अग्रगण्य मुनि कौन थे इसका उल्लेख नहीं मिलता। or १९११ ___Kxn G Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003055
Book TitleTerapanth Pavas Pravas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNavratnamalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1986
Total Pages542
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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