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________________ ७२ अपना दर्पणः अपना बिम्ब भीतरी दुनिया का राजमार्ग ___ एक महान् संत हुए हैं खलीफा उमर । युद्ध चल रहा था। खलीफा के पैर में तीर लग गया । बहुत दर्द होने लगा । एक जवान सैनिक ने कहाआपको बहुत दर्द हो रहा है। आप कहें तो इसे निकाल दूं। पास ही खड़े बूढ़े सैनिक ने कहा-अभी रहने दो । कुछ देर बाद नमाज का वक्त आया । खलीफा नमाज में लीन हो गया । उसी समय बूढ़े सैनिक ने पैर से तीर निकाल लिया । खलीफा को कुछ पता ही नहीं चला । जब व्यक्ति भीतरी दुनिया में चला जाता है तब उसे बाहरी दुनियां के कष्ट और पीड़ाएं प्रभावित नहीं करतीं । बाहर की दुनियां से अलग है भीतर की दुनिया। उसमें जाने वाला व्यक्ति सारे दुःखों और तनावों से मुक्ति पा लेता है । उस भीतरी दुनिया में पहुंचने का राजमार्ग है-कायोत्सर्ग । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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