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________________ अपना दर्पणः अपना बिम्ब खाता है तो जीता है । खाना बंद कर दे तो वह जी नहीं पाएगा । दो मूलभूत आवश्यकताएं हैं, श्वास लेना और खाना । स्थिति यह है-आदमी श्वास लेना भी ठीक नहीं जानता और खाने के बारे में भी उसे पूरा ज्ञान नहीं है । जीवन की इन दो मूलभूत आवश्यकताओं के बारे में भी पूरी जानकारी नहीं है । श्वास अपने आप आता है और खाए बिना मनुष्य का काम नहीं चलता । इसलिए वह श्वास भी लिए जा रहा है और खाए भी जा रहा है किन्तु कैसे श्वास लिया जाए? कैसे खाया जाए? इस विषय की उसे सही जानकारी नहीं जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण है-आहार-विवेक । जन्म के प्रारंभिक क्षण से आहार प्रारंभ होता है और अन्तिम क्षण तक चलता है। एक जन्म से दूसरे जन्म में जाने की गति-अन्तराल गति में भी आहार के क्षण रहते हैं। आहार का अर्थ है, बाहर से लेना । जो बाहर से लिया जाता है उसकी शरीर या मन पर क्या प्रतिक्रिया होगी, इसका विवेक होना आवश्यक है। जो मन को निर्मल करना चाहे वह इस बात को जाने कि कब खाना है, क्या खाना है, कितना खाना है और क्यों खाना है? आहार से उपजी समस्याएं हम खाने के बारे में बहुत कम ध्यान देते हैं। न जाने कितने लोग शाकाहार को छोड़ कर अंडे और मांसाहार में चले जाते हैं। स्वास्थ्य के लिए यह अच्छा नहीं है, हानिकारक भी है । ये वृत्तियों पर भी प्रभाव डालते हैं। न जाने कितने लोग मादक वस्तुओं के सेवन में लग जाते हैं। शराब, तंबाकू और जर्दा-ये सब मादक वस्तुएं वृत्तियों को बिगाड़ती हैं । वृत्तियों को ही नहीं, शारीरिक बीमारियों को पैदा करने में भी ये प्रमुख कारण बन रहे हैं । अमेरिका, स्वीडन, कनाडा-इन सब देशों में तंबाकू के विरुद्ध एक आंदोलन सा चल रहा है । तंबाकू कैंसर के लिए बहुत उत्तरदायी है । बहुत लोग जर्दा खाते हैं। कहा जा रहा है-मुंह का कैंसर होने में जर्दा प्रमुख कारण है । भारत सरकार पान-पराग और जर्दे पर प्रतिबंध लगाने की बात सोच रही है । शराब Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003053
Book TitleApna Darpan Apna Bimb
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Discourse
File Size9 MB
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