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________________ साधु प्रकरण २. चतुर्विशस्तव-चौबीस तीर्थंकरों की स्तुति । ३. वन्दना आचार्य को द्वादशात वन्दना। ४. प्रतिक्रमण-कृत दोषों की आलोचना। ५. कायोत्सर्ग-काया का स्थिरीकरण। ६. प्रत्याख्यान त्याग करना। प्रश्न २६७. क्या हर किसी मुनि का अपहरण किया जाता है ? उत्तर-नहीं, श्रेणी प्राप्त मुनि तथा सर्वज्ञ मुनि का अपहरण नहीं हो सकता। प्रश्न २६८. क्या साधु ऊनोदरी तप करता है? उत्तर-हां, साधु ऊनोदरी तप करता है-द्रव्य से खाद्य-संयम व उपकरण लाघव की और भाव से क्रोध आदि कषाय की। प्रश्न २६६. साधु के कितने प्रकार का शल्य माना गया है? उत्तर-तीन प्रकार का-(१) माया शल्य (२) निदान शल्य (३) मिथ्या दर्शन शल्य । प्रश्न ३००. साधु की निश्रा (आश्रय) कितनी व कौन सी है? उत्तर-साधु के निश्रा स्थान पांच हैं-(१) श्रावक (२) राजा (३) संघ (४) शरीर (५) छह काय के पुद्गल । प्रश्न ३०१. साधु में कौन सा वीर्य पाया जाता है ? उत्तर-पंडित वीर्य। प्रश्न ३०२. आराधक साधु समाधिमरण को प्राप्त कर कौन सी गति में जाते उत्तर-वैमानिक देवलोक या मोक्ष में। प्रश्न ३०३. साधु काल धर्म प्राप्त कर कौन से देवलोक तक जा सकता है ? उत्तर-छब्बीसवें देवलोक ‘सर्वार्थ सिद्ध' तक। प्रश्न ३०४. साधुपन से च्युत होने के कितने कारण है? उत्तर-तीन कारण हैं-(१) पांच महाव्रतों में से किसी एक महाव्रत में बड़ा दोष सेवन करे (२) तीर्थंकर की वाणी में शंका करे (३) तीर्थंकरों की वाणी के विरुद्ध प्ररूपणा करे। प्रश्न ३०५. साधु के उत्कृष्ट कितने भव होते हैं? उत्तर–साधु के उत्कृष्ट १५ (देव व मनुष्य-युक्त) भव माने गए हैं। १. जैन दर्शन : मनन मीमांसा, ३० ३. स्थानांग ५/३/१६२ २. स्थानांग ३/३/३८५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003051
Book TitleSadhwachar ke Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajnishkumarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size6 MB
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