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________________ साध्वाचार के सूत्र प्रश्न ८६. इत्वरिक और यावत्कथिक में क्या अंतर है? उत्तर-जिनका सामायिक चारित्र इत्वरिक अर्थात् अल्पकाल की अवधि वाला हो, जिनको कुछ समय के बाद छेदोपस्थानीय चारित्र दिया जाने वाला हो, वे इत्वरिक-सामायिकसंयत कहलाते हैं। यह भरत-ऐरावत क्षेत्रों में प्रथम व अंतिम तीर्थंकरों के समय होता है। सामान्यतया सात दिन के बाद छेदोपस्थानीयचारित्र दिया जाता है किन्तु नौ तत्त्व की जानकारी के अभाव में प्रतिक्रमण कंठस्थ न हो अथवा माता-पिता आदि निकट पारिवारिकजन निकट-भविष्य में दीक्षित होना चाहते हों-इन कारणों से नवदीक्षित साधुओं को उत्कृष्ट छह मास तक सामायिक चारित्र (छोटी दीक्षा) में रखा जा सकता है। जिनको छेदोपस्थापनीय चारित्र पहले आता है, वे संयम पर्याय में बड़े होते हैं। जिनका सामायिक चारित्र यावत्कथिक अर्थात् जीवन पर्यन्त रहता है, वे साधु यावत्कथिक-सामायिकसंयत कहलाते हैं। यह भरत एवं एरावत क्षेत्रों में प्रथम व अंतिम तीर्थंकरों के समय को छोड़कर शेष बाईस तीर्थंकरों के समय तथा महाविदेह क्षेत्र में होता हैं।' प्रश्न ६०. वर्तमान काल में साधु के सामायिक चारित्र कितने समय का होता है ? उत्तर-जघन्य सात दिन, मध्यम चार मास और उत्कृष्ट साढ़े छह मास। प्रश्न ६१. सामायिक चारित्र में कितने ज्ञान पाए जाते हैं ? उत्तर-प्रथम चार ज्ञान–१. मतिज्ञान २. श्रुतज्ञान ३. अवधिज्ञान ४. मनःपर्यव ज्ञान। प्रश्न ६२. सामायिक चारित्र में कितनी लेश्याएं पाई जाती है? । उत्तर-छह लेश्याएं-१. कृष्ण लेश्या २. नील लेश्या ३. कापोत लेश्या ४. तैजस लेश्या ५. पद्म लेश्या ६. शुक्ल लेश्या ।। प्रश्न ६३. सामायिक चारित्र में कितने समुद्घात होते हैं? उत्तर-छह समुद्घात-१. वेदना २. कषाय ३. मारणान्तिक ४. वैक्रिय ५. आहारक ६. तैजस। प्रश्न ६४. सामायिक चारित्र में उत्कृष्ट कितने पूर्वधर होते हैं? उत्तर-उत्कृष्ट-१४ पूर्वधर । १. उत्तरा. २८/टि. २६ २. भगवती २५/७/४६६ ३. भगवती २५/७/५०२ ४. भगवती २५/७/५४२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003051
Book TitleSadhwachar ke Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajnishkumarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size6 MB
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