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________________ परिभाषाधिकरणे समस्यापाद: ० महत्समाधानं समस्यायाः प्रेक्षा दुःख को कम करने का महामंत्र है–समस्या को देखना। ० मानवमस्तिष्के तस्याः मूलम् ० तत्रैव तस्याः जन्म समाधानञ्च समस्या का मूल है-मानव का मस्तिष्क । समस्या का जन्म और समस्याओं का समाधान मानव मस्तिष्क में ही है। ० असंतुलनं महत्तमा समस्या ० तच्च व्यवस्थाजीवनयोरुभयोः ० व्यवहारेऽद्य स्पर्धा, न तु समता ० समताध्यात्मसूत्रम् सबसे बड़ी समस्या है असंतुलन की । न जीवन में संतुलन, न व्यवस्था में संतुलन। मनुष्य ने अपना संतुलन खो दिया है। आज व्यावहारिक जीवन में समता का सूत्र नहीं मिलता, उसमें मिलता है स्पर्धा का सूत्र । प्रत्येक क्षेत्र में कदम-कदम पर स्पर्धा चलती है। समता का सूत्र अध्यात्म का सूत्र है। ० प्रियता वा महत्तमा समस्या ० सा चाप्रियताजननी, सापेक्षत्वात्प्रियताप्रियतयोः ० लोभो न धनस्यैव, सत्ताया अपि ___ समस्या लोभ या राग की है। प्रियता सबसे बड़ी समस्या है। अप्रियता तो प्रियता के कारण पैदा होती है। यदि किसी एक व्यक्ति के प्रति मन में प्रियता का भाव है, तो निश्चित है कि दूसरे के प्रति अप्रियता का भाव पैदा होगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003049
Book TitleMahapragna Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayanand Bhargav
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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