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________________ महावीर उवाच १४६ बस्तर के वन विभाग के प्रकाशन के अनुसार १६५६ और १६८१ के बीच विभिन्न विकास परियोजनाओं के निमित्त १२५,४८३ हैक्टेयर जंगल साफ किए गए। (पृष्ठ ७७) बस्तर डिविजन के एक कमिश्नर साहब ने एक सरकारी दस्तावेज में उन वनवासियों को मूर्ख बताया और अपनी ही मूर्खता साबित करते हुए लिखा, “अगर इन क्षेत्रों में रेलवे और सड़क आदि परिवहन की सुविधाएं पहुंचा दी जाए तो उनकी शैक्षिक कमी की पूर्ति सौगुनी की जा सकेगी। कई प्रशासक यह समझ ही नहीं पाते कि इन्हीं "मूर्ख और अज्ञानी” वनवासियों ने अपनी सादगी भरी जीवन शैली के कारण वन संसाधनों को क्षति पहुंचाए बिना बस्तर का निर्मल स्वरूप सुरक्षित रखा था। (पृष्ठ ८३) देश के लिए बिजली चाहिए और जरा जल्दी भी चाहिए। इसलिए अब कोयला खदानों के पास ही बड़े-बड़े ताप बिजलीघर लगाए जा रहे हैं। ऐसे बिजलीघरों के झुंड वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण की नई समस्याएं खड़ी करेंगे। इनसे उड़ने वाली राख के कारण बहुत बड़े इलाके के घर, खेत और वन सचमुच खाक में मिल जायेंगे। आधुनिक ढांचे पर "विकसित क्षेत्र अब आधुनिकता के रोगों के शिकार भी बन चले हैं। बंबई में सात वर्ष चला एक अध्ययन बताता है कि स्वास्थ्य की ज्यादातर गड़बड़ियां शहर की दूषित हवा के कारण है। (पृष्ठ १०६) मध्य बंबई का इलाका सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और बेंजोपाइरीन गैसों से भरा रहता है। श्री कामत और उनके साथियों ने १६७७ से लगभग ४००० रोगियों का परीक्षण किया है। श्री कामत का कहना है : "हमारे आंकड़े बताते हैं कि यहां स्वास्थ्य की जितनी भी गड़बड़ियां हैं। उन सबका स्पष्ट और मुख्य कारण वायु में फैले जहरीले तत्त्व ही हैं। स्वास्थ्य की खराबी के कारण लोग अपने कामों से ज्यादा गैर-हाजिर रहते हैं। गंदी हवा के कारण बंबई की आरोग्य सेवा पर बहुत बड़ा बोझ बढ़ता जा रहा है।" सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मात्रा लालबाग में सबसे ज्यादा है। इन्हीं की वजह से लोगों को अक्सर सर्दी, जुकाम, खांसी, सांस लेने में रुकावट और सांस की तकलीफ व कई तरह के हृदयरोग हो जाते हैं। अधिक प्रदूषण के शिकार शहरी इलाकों के लोगों के स्वास्थ्य में ज्यादा खराबी देखने में आती है, जैसे सांस लेने में कष्ट, हृदय और फेफड़े की बीमारियां, आंखें, नाक और चमड़ी की जलन आदि। कैंसर का कारण बेंजोपाइरीन की अधिक मात्रा भी हो सकती है, जो बंबई में कारों की बहुतायत के कारण है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003049
Book TitleMahapragna Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayanand Bhargav
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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