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________________ 202 लेश्या और मनोविज्ञान पद केन्द्र वर्ण निष्पत्ति णमो अरिहन्तार्ण ज्ञानकेन्द्र श्वेत वर्ण ज्ञान चेतना का जागरण णमो सिद्धाणं दर्शनकेन्द्र लाल वर्ण शारीरिक सामर्थ्य एवं अन्तर्दृष्टि का जागरण णमो आयरियाणं विशुद्धिकेन्द्र पीला वर्ण आवेग उपशमन णमो उवज्झायाणं आनन्दकेन्द्र नीला वर्ण शांति, समाधि णमो लोएसव्वसाहूणं शक्तिकेन्द्र श्याम वर्ण ग्राहक शक्ति का विकास तंत्रशास्त्र में चेतना-विकास, इन्द्रिय-विजय, ज्ञान शक्तियों के तथा वीतरागता के अनेक प्रयोग प्रस्तुत किए गए हैं। ये सारे महत्त्वपूर्ण प्रयोग लेश्या सिद्धान्त से सम्बद्ध हैं। निषेधात्मक भावों का निषेधक :रंगध्यान - रंगध्यान के विषय में जैनों ने ही नहीं, अन्य पूर्वी एवं पश्चिमी वैज्ञानिकों ने भी अपने निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं। एलेक्स जोन्स की रंग विषयक व्याख्याओं की प्रस्तुति प्रासंगिक है :-1 लाल रंग - यदि जड़ता, अवसाद, भय, उदासी की भावनाओं पर नियंत्रण करना हो; वासनाओं और इच्छाओं पर विजय पानी हो; घृणा, क्रोध, स्वार्थता, लालच, निर्दयता, मारकाट की प्रवृत्ति आदि निषेधात्मक वृत्तियों से मुक्त होना हो तो लाल रंग का ध्यान करना उपयोगी रहता है। लाल रंग का ध्यान करने से स्नेह, उदारता, दूसरों के प्रति संवेदनशीलता, स्वविकास की अभीप्सा जागती है। ऐसा व्यक्ति जीवन में कभी पलायनवादी नहीं होता। वह परिस्थिति से घबराता नहीं, अपितु मुकाबला करने का साहस जुटा लेता है। नारंगी रंग – यदि मन विध्वंसात्मक क्रूर चिन्तन से ग्रस्त है, झूठा अभिमान, सत्ता हथियाने की मनोवृत्ति, संवेदनहीनता, अविश्वास जैसे गलत संस्कार मन पर हावी हैं तो चमकदार नारंगी रंग का ध्यान करना उपयोगी है । फलस्वरूप आशावादिता, मानवीय एकता, उदात्त गुणों का जागरण, दूसरों के प्रति प्रेम, संवेदनशीलता आदि गुण प्रकट होते हैं। धीरेधीरे निषेधात्मक व्यक्तित्व विधेयात्मकता में बदल जाता है। पीला रंग - यदि आभामण्डल में धुंधला पीला रंग हो तो व्यक्ति अहंवादी, मानसिक, वाचिक रूप से आक्रामक, पृथकत्ववादी होता है। उसके लिए चमकदार पीले रंग का ध्यान करना महत्त्वपूर्ण होता है, क्योंकि इससे व्यक्ति भयमुक्त एवं दुराग्रह मुक्त हो जाता है। बौद्धिक व मानसिक चेतना का विकास होता है। विध्वंसात्मक दृष्टिकोण समाप्त होता है और रचनात्मक दृष्टिकोण पनपता है। हरारंग - यदि व्यक्ति में पाखंडता, अहंवादिता, कायरता, लालसा, स्वार्थपरता, मोह, ईर्ष्या और असुरक्षा की भावना पैदा हो जाए तो इनसे मुक्त होने के लिये हरे रंग का ध्यान 1. Alex Jones, Seven Mansions of Colour, p. 38-45 Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003048
Book TitleLeshya aur Manovigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size11 MB
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