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________________ ३६/ श्रमण महावीर महावीर आदिवासी क्षेत्रों में कितनी बार गए? कहां घूमे? कहां रहे? कितने समय तक रहे? उन्हें वह कैसा लगा? आदिवासी लोगों ने उनके साथ कैसा व्यवहार किया? इन प्रश्नों का उत्तर पाने के लिए मैं चिरकाल से उत्सुक था। मैंने अनेक प्रयत्न किए, पर मेरी भावना की पूर्ति नहीं हुई। आखिर मैंने विचार-संप्रेषण का सहारा लिया। मैंने अपने प्रश्न महावीर के पास संप्रेषित कर दिए। मेरे प्रश्न उन तक पहुंच गए। उन्होंने उत्तर दिए, उन्हें मैं पकड़ नहीं सका। महावीर के अनुभवों का संकलन गौतम और सुधर्मा ने किया था, यह सोच मैंने उनके साथ सम्पर्क स्थापित किया। मेरी जिज्ञासाएं उन तक पहुंच गयीं, पर उनके उत्तर मुझ तक नहीं पहुंच पाए। मैंने प्रयत्न नहीं छोड़ो। तीसरी बार मैंने अपनी प्रश्न-सूची देवर्धिगणी के पास भेजी। वहां मैं सफल हो गया । देवर्धिगणी ने मुझे बताया – 'महावीर ने आदिवासी क्षेत्र के अपने अनुभव गौतम और सुधर्मा को विस्तार से बताए। उन्होंने महावीर के अनुभव सूत्र-शैली में लिखे। मुझे वे जिस आकार में प्राप्त हुए, उसी आकार में मैंने उन्हें आगम-वाचना में विन्यस्त कर दिया।' 'क्या आपको उनकी विस्तृत जानकारी (अर्थ-परम्परा) प्राप्त नहीं थी?' 'अवश्य थी।' 'फिर आपने हम लोगों के लिए संकेत भर ही क्यों छोड़े?' 'इससे अधिक और क्या कर सकता था? तुम मेरी कठिनाइयों को नहीं समझ सकते। मैंने जितना लिपिबद्ध कराया, वह भी तत्कालीन वातावरण में कम नहीं था।' मैं कठिनाइयों के विस्तार में गए बिना अपने प्रस्तुत विषय पर आ गया। मैंने कहा, 'मैं आपसे कुछ प्रश्नों का समाधान पाने की आशा कर सकता हूं?' 'क्यों नहीं?' मैंने एक-एक कर अपने प्रश्न प्रस्तुत किए। मेरा पहला प्रश्न था, 'महावीर आदिवासी क्षेत्रों में कितनी बार गए?' 'दो बार गए।' 'किस समय?' 'पहली बार साधना के पांचवें वर्ष में और दूसरी बार नवें वर्ष में।" 'किस प्रदेश में घूमे?' 'लाट देश के वज्रभूमि और सुम्हभूमि - इन दो प्रदेशों में। 'कहां रहे?' १. आवश्यकचूर्णि, पूर्वभाग, पृ० २९०,२९६ । २. आयारो,९।३।२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003046
Book TitleShraman Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages334
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size13 MB
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