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________________ वंदना / २७३ -महावीर हमारे भाई नहीं हैं और कणाद आदि हमारे शत्रु नहीं हैं। हमने किसी को भी साक्षात् नहीं देखा है किन्तु महावीर के आचारपूर्ण वचन सुनकर हम उनके अतिशय गुणों में मुग्ध हो गए और उनकी शरण में आ गए। २७. नास्माकं सुगतः पिता न रिपवस्ती• धनं नैव तै दत्तं नैव तथा जिनेन संहृतं किंचित् कणादादिभिः। किन्त्वेकान्तजगद्धितः स भगवान् वीरो यतश्चामलं, वाक्यं सर्वमलोपहर्तृ च यतस्तद्भक्तिमन्तो वयम्॥ -तीर्थंकर हमारा पिता नहीं है और कणाद् आदि हमारे शत्रु नहीं हैं। तीर्थकर ने हमें कोई धन नहीं दिया है और कणाद आदि ने हमारे धन का अपहरण नहीं किया है। किन्तु महावीर एकान्ततः जगत् के लिए हितकर हैं। उनके अमल वाक्य सब मलों को क्षीण करने वाले हैं, इसलिए हम महावीर के भक्त हैं। २८. पक्षपातो न मे वीरे, नद्वेषः कपिलादिषु। युक्तिमद् वचनं यस्य, तस्य कार्यः परिग्रहः॥ -महावीर के प्रति मेरा पक्षपात नहीं है और कपिल आदि के प्रति मेरा द्वेष नहीं है। जिसका वचन युक्तियुक्त है, उसे मैं स्वीकार करता हूं। २९. क्वचिनियतिपक्षपातगुरु गम्यते ते वचः। स्वभावनियताः प्रजाः समयतंत्रवृत्ताः क्वचित्॥ स्वयंकृतभुजः क्वचित् परकृतोपभोगाः पुननं चाविशदवाददोषमलिनोऽस्यहो विस्मयः॥ -महावीर प्रभो! तुम्हारा वचन कहीं नियति का पक्षपात कर रहा है, कहीं जनता को स्वभाव से अनुशासित बता रहा है, कहीं कालतंत्र के अधीन कर रहा है, कहीं लोगों को स्वयंकृत कर्म भुगतने वाले और कहीं परकृत कर्म भुगतने वाले बता रहा है। फिरभी आश्चर्य है कि तुम विरुद्धवाद के दोष से मलिन नहीं हो। ३०. उदधाविव सर्वसिन्धवः समुदीर्णास्त्वयि सर्वदृष्टयः।। न च तासु भवानुदीक्ष्यते, प्रविभक्तासु सरित्स्विवोदधिः॥ -जैसे समुद्र में सारी नदियां मिलती हैं, वैसे ही तुम्हारे दर्शन में सारी दृष्टियां मिली हुई हैं। भिन्न-भिन्न दृष्टियों में तुम नहीं दीखते, जैसे नदियों में समुद्र नहीं दीखता। १. लोकतत्वनिर्णय ३३ । २. लोकतत्त्वनिर्णय :३८ । ३. द्वात्रिंशिका :३।८ ।वंदनाकार-सिद्धसेन दिवाकर । ४. द्वात्रिंशिका :४।१५ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003046
Book TitleShraman Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages334
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size13 MB
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