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________________ ततीश पदवी। (२८१) तेतीश पदवी नव उत्तम पदवी, सात एकेन्द्रिय रत्न की पदवी और सात पंचेन्द्रिय रत्न की पदवी। प्रथम नव उत्तम पदवी के नाम १ तीर्थंकर की पदवी २ चक्रवर्ती की पदवी ३ वासुदेव की पदवी ४ बनदेव की पदवी ५ मांडलिक की पदवी ६ केवली की पदवी ७ साधु की पदवी ८ श्रावक की पदवी : समकित की पदवी। सात एकेन्द्रिय रत्न के नाम १ चक्र रत्न २ छत्र रत्न ३ चर्म रत्न ४ दंड रत्न ५ खड़ग रत्न ६ मणि रत्न ७ काकण्य रत्न । सात पंचेन्द्रिय रत्न के नाम १ सेना पति रत्न २ गाथा पति रत्न ३ वाधिक (बढई ) रत्न ४ पुरोहित रत्न ५ स्त्री रत्न ६ गज रत्न ७ अश्व रत्न यह चौदह रत्न चक्रवती के होते हैं। ये चौदह रत्न चक्रवर्ती के जो जो कार्य करते हैं उनका विवेचन । प्रथम सात एकेन्द्रिय रत्न . १ चक्र रत्न-छः खएड साधने का रास्ता बताता है २ छत्र रत्न-सेना के ऊपर १२ योजन (४८ कोस) तक छत्र रूप बन जाता है । ३ चर्म रत्न-नदी आदि जलाशयों Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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