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________________ ८* श्री चम्पालाल जी की दो सुपुत्रियाँ हैं- सौ. सपना दुगड़ नासिक और सौ. शिल्पा दुगड (मद्रास) । आप अनेक सेवाभावी सामाजिक संस्थाओं के उच्च पदों पर आसीन हैं। दक्षिणकेसरी मुनि श्री मिश्रीलाल जी महाराज होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, गुरु गणेशनगर तथा गुरु मिश्री अस्पताल, औरंगाबाद के आप सेक्रेटरी रहे हैं। सन् १९८८ में श्रद्धेय उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी महाराज एवं आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी महाराज अहमदनगर का वर्षावास सम्पन्न कर औरंगाबाद पधारे, तब आपका आचार्यश्री से सम्पर्क हुआ । आचार्यश्री के साहित्य के प्रति आपकी विशेष अभिरुचि जाग्रत हुई। कर्म - विज्ञान पुस्तक के विभिन्न भागों के प्रकाशन में आपश्री ने विशिष्ट अनुदान प्रदान किया है। अन्य अनेक प्रकाशनों में भी आपश्री ने मुक्त हृदय से अनुदान प्रदान किया है तथा स्वाध्यायोपयोगी साहित्य फ्री वितरण करने में भी बहुत रुचि रखते हैं। आपकी भावना है, घर-घर में सत्साहित्य का प्रचार हो, धर्म एवं नीति के सद्विचारों से प्रत्येक पाठक का जीवन महकता रहे। आपश्री तथा औरंगाबाद का श्रीसंघ कई वर्षों से परम श्रद्धेय आचार्य भगवंत के चातुर्मास की विनती कर रहे थे। आचार्यश्री ने विशेष अनुग्रह करके वि. सं. २०५६ का वर्षावास औरंगाबाद घोषित किया था । परन्तु नियति को कुछ अन्यथा ही मंजूर था। मई में ही अचानक आचार्यश्री का स्वर्गवास हो गया। फिर भी आचार्यश्री के शिष्य परिवार ने औरंगाबाद चातुर्मास कर पूज्य गुरु भगवंतों की मनोभावना का सन्मान किया। आपने आचार्यश्री के साहित्य प्रकाशन में पूर्ण निष्ठापूर्वक सहयोग देने का पुनः आश्वासन दिया और उसी की संपूर्ति हेतु यह 'मूलसूत्र : एक परिशीलन' आपके सहयोग से प्रकाशित हो रही है । हम आपके उज्ज्वल - आनन्दमय जीवन की कामना करते हुए इसी प्रकार आपके सहयोग की आशा करते हैं। आपके व्यावसायिक प्रतिष्ठान निम्न हैं: •PARATISHTHAN ALLOY CASTINGS • PRATISHTHAN ALLOYS PVT. LTD. • PARASON MACHINERY (INDIA) PVT. LTD. • SUNMOON SLEEVES PVT. LTD. Jain Education International - चुन्नीलाल धर्मावत कोषाध्यक्ष श्री तारक गुरु जैन ग्रंथालय, उदयपुर For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002996
Book TitleMulsutra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year2000
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size16 MB
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