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________________ (3) Conch-shell produces Gandhar svar. (4) Jhallari (Jhanjh; Cymbal like 5 musical instrument) produces Madhyam svar. (v) Godhika fixed on four 卐 legs (a type of musical instrument) produces Pancham svar. (6) Dhol $ (a percussion instrument like big kettledrum) produces Dhaivat svar. (7) Mahabheri (a huge drum) produces Nishad svar. ॐ स्वरों के लक्षण तथा फल CHARACTERISTICS AND RESULTS OF SEVEN SVARS ४३. एतेसि णं सत्तण्हं सराणं सत्त सरलक्खणा पण्णत्ता, तं जहा सज्जेण लभति वित्तिं, कतं च णं विणस्सति। गावो मित्ता य पुत्ता य णारीणं चेव वल्लभो॥१॥ रिसभेण उ एसज्जं, सेणावच्चं धणाणि य। वत्थगंधमलंकारं इथिओ सयणाणि य॥२॥ गंधारे गीतजुत्तिणा, वज्जवित्ती कलाहिया। भवंति कइओ पण्णा, जे अण्णे सत्थपारगा॥३॥ मज्झिमसरसंपण्णा, भवंति सुहजीविणो। खायती पियती देती, मज्झिमसरमस्सितो॥४॥ पंचमसरसंपण्णा, भवंति पुढवीपती। सूरा संगहकत्तारो अणेगगणणायगा॥५॥ धेवतसरसंपण्णा, भवंति कलहप्पिया। 'साउणिया वग्गुरिया, सोयरिया मच्छबंधा य' ॥६॥ 'चंडाला मुट्ठीया मेया, जे अण्णे पावकम्मिणो। गोघातगा य जे चोरा, णेसायं सरमस्सिता' ॥७॥ ४३. इन सात स्वरों के सात लक्षण (तथा उनका फल) इस प्रकार है (१) षड्ज स्वर वाला मनुष्य आजीविका प्राप्त करता है, उसका प्रयत्न व्यर्थ नहीं जाता। उसके गाएँ, ॐ मित्र और पुत्र होते हैं। वह स्त्रियों को प्रिय होता है। (२) ऋषभ स्वर वाला मनुष्य ऐश्वर्य, सेनापतित्व. धन, वस्त्र, गन्ध, आभूषण, स्त्री, शयन और आसन को प्राप्त करता है। (३) गान्धार स्वर वाला मनुष्य गाने में कुशल, वादित्र वृत्तिवाला, कलानिपुण, कवि, प्राज्ञ और अनेक शास्त्रों का पारगामी होता है। (४) मध्यम ॐ स्वर से सम्पन्न पुरुष सुख से खाता, पीता, जीता और दान देता है। (५) पंचम स्वर वाला पुरुष भूमिपाल, + शूर-वीर संग्राहक और अनेक गणों का नायक होता है। (६) धैवत स्वर वाला पुरुष कलहप्रिय, पक्षियों को मारने वाला (चिड़ीमार) हिरण, सूकर और मच्छी मारने वाला होता है। (७) निषाद स्वर वाला पुरुष के चाण्डाल, वधिक, मुक्केबाज, गो-घातक, चोर और अनेक प्रकार के पाप करने वाला होता है। स्थानांगसूत्र (२) (298) Sthaananga Sutra (2) 四步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步5555555 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002906
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2004
Total Pages648
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_sthanang
File Size20 MB
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