SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 21
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 95555555555555555555555555555) इअनुक्रमणिका? ९३-९९ ९२ १२ १००-१०१ १०० अष्टम शतक : द्वितीय उद्देशक : अष्टम शतक : तृतीय उद्देशक : आशीविष १-९२ वृक्ष अधिकारी तथा विष-सामर्थ्य विविध जाति के वृक्षों का निरूपण छास्थ के दस स्थान अज्ञेय जीव प्रदेशों पर शस्त्रादि का स्पर्श ज्ञान और अज्ञान के प्रकार आठ पृथ्वियों का कथन जीवों में ज्ञान-अज्ञान अष्टम शतक : चतुर्थ उद्देशक : गति आदिआठद्वारों की अपेक्षा ज्ञानी-अज्ञानी क्रिया प्रथम : गतिद्वार द्वितीय : इन्द्रियद्वार पाँच क्रियाएँ तृतीय : कायद्वार अष्टम शतक : पंचम उद्देशक : चतुर्थ : सूक्ष्म-बादरद्वार आजीव १०२-११७ पंचम : पर्याप्त-अपर्याप्तद्वार श्रावक के भाण्ड विषयक जिज्ञासा १०२ छठा : भवस्थद्वार श्रावक व्रतों के उनचास भांगे १०५ सप्तम : भवसिद्धिकद्वार आजीविकोपासक और श्रमणोपासकों आठवाँ : संज्ञीद्वार का आचार भेद ११३ नौंवा : लब्धिद्वार देवलोकों के चार प्रकार ११७ योग-उपयोग आदि में ज्ञान-अज्ञानदशम : उपयोगद्वार अष्टम शतक : छठा उद्देशक : ग्यारहवाँ : योगद्वार प्रासुक ११८-१३८ बारहवाँ : लेश्याद्वार आहार-दान का फल ११८ तेरहवाँ : कषायद्वार ६८ पिण्ड-पात्र आदि की उपभोग-मर्यादा १२० चौदहवाँ : वेदद्वार निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थी की आराधकता १२३ पन्द्रहवाँ : आहारकद्वार ७० जलते हुए दीपक आदि में क्या जलता है? १३० सोलहवाँ : (विषयद्वार) ज्ञान की व्यापकता ७४ क्रियाओं का निरूपण १३१ सत्रहवाँ : ज्ञानी और अज्ञानी का स्थितिकाल ८३ अष्टम शतक : सप्तम उद्देशक : अठारहवाँ : अंतरद्वार अदत्त १३९-१५२ उन्नीसवाँ : ज्ञानी और अज्ञानी जीवों का अल्प बहुत्व ८४ बीसवाँ : पर्यायद्वार अन्यतीर्थिकों के साथ स्थविरों का वाद १३९ ज्ञान और अज्ञान के पर्यायों का अल्पबहुत्व ८९ गतिप्रवाद और उसके पाँच भेदों का निरूपण १५० ६९ निग्रन्थ ८८ (13) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002904
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2008
Total Pages664
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_bhagwati
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy