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________________ सैनिक ने वसुमति को चम्पा के दासी बाजार में बेच दिया। बिकते-बिकते वसुमती को कौशाम्बी के एक धर्मप्रिय सेठ धनावह ने खरीदकर अपने यहाँ पुत्री के रूप में रख लिया और उसका नाम चन्दना रख दिया। परन्तु उसकी पत्नी ने ईर्ष्यावश चन्दना के बाल मूँडकर, बेडियाँ पहनाकर तहखाने में डाल दिया। सेठ को जब पता चला तो उसने चन्दना को तहखाने से निकाला। nabb4100 तीन दिन की भूखी-प्यासी चन्दना घर की देहली के बीच में बैठी थी। उसके हाथ में उड़द के सूखे बाकले रखे थे। उसने भगवान महावीर को आते देखा तो उसका रोम-रोम खिल उठा। सूप था, जिसमें धन्य भाग्य है मेरा ! पधारो प्रभु ! जगत के तारणहार, मेरा 'उद्धार करो; धन्य है आज की पवित्र घड़ी। मेरे हाथ से यह सूखे बाकले भिक्षा में ग्रहण करिये प्रभु । बेटी, तू तीन दिन से भूखी बैठी है, ले यह सूखे बाकले खा, मैं तेरी बेड़िया कटवाने के लिये लुहार को बुलाकर लाता हूँ...... # अभिग्रह मिरचय प्रण For Priva Personal Use Only wwww.jainelibrary.org
SR No.002809
Book TitleBhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandramuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size14 MB
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