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________________ बुद्धि निधान अभय कुमार दूसरे दिन राजा श्रेणिक दरबार में आये। उन्हें स्वस्थ देखकर मांसाहारी सामन्तों को बड़ा आश्चर्य हुआ। अभय ने सारा धन राजसभा में सामन्तों के सामने रखकर कहा bhopuroh आज से पन्द्रह दिन पहले आप लोगों ने मांस को सस्ता और सुलभ आहार बताया ००० था। कल रात सिर्फ दो तोला मांस के लिए आपमें से किसी ने दो लाख, किसी ने तीन लाख स्वर्ण मुद्रायें दी हैं। बताइये क्या मांस सस्ता है ? २ 09290 AAAA ΑΛΛΟ Loo अभय ने सामन्तों और सभासदों से कहा FAD जिस प्रकार आपको अपना शरीर और अपने प्राण प्यारे हैं, वैसे ही हर प्राणी को अपने प्राण, अपनी जान प्यारी है। किसी भी प्राणी के शरीर का मांस काटना उसके लिए कितना भयानक दुःखदायी है यह आप समझ चुके हैं, अब आप सोचें मांसाहार करना महापाप ही नहीं, दूसरों के लिए भयानक कष्टकारी और राक्षसी कृत्य भी है। Jain Education International 400 मरा 20 0000000 20009090 मांस को सस्ता बताने वाले सामन्तों के सिर झुक गये। अभय की युक्तियों से प्रभावित होकर सभी सामन्तों ने एक स्वर से स्वीकार किया हम आज से माँसाहार और शिकार का त्याग करते हैं। For Private & Personal Use Only 4A AMAN AAAA ര समाप्त www.jainelibrary.org
SR No.002806
Book TitleBuddhinidhan Abhaykumar Diwakar Chitrakatha 006
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size21 MB
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