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________________ در در .. "2 तस्मान्सुतान्भद्रे VII. 9.23a "> णुतेऽयं बलाधिकम् VII. 34.2b शृणु तोयदनिःस्वनम् VI. 33.21d "" एवं मुनिपुंगव I. 59.13b " " यन्निमित्तं मे II. 69.70 शृणुध्वं सर्वदेवताः VII. 69.24b शृणु नैर्ऋतशार्दूल VI. 74.21C ,, पुत्र वचो मम VII. 11.36d " " " "" " " " " "" „ 38d ,, ब्रह्मन्पुरा वृत्तम् VII. 78.2a "" भर्तृवधं सीते VI. 31.17e शृणुः किमिदं स्वमे VII. 71.2ra शृणु मे मन्त्रिभिः सह I. 10. If वचनं हितम् III. Ib वरुणालय VI. 22.27b ,, सहलक्ष्मण I. 36:27d मैथिली मद्वाक्यम् III. 56.24c ३ तत्कर्मसाध्ये III. 36.17c 40.17a " 29 "2 " तत्वेन राघव I. 45.14d 48.14b " " " در शृणुयान्नोद्विजेत च V. 30.40b शृणु येन बलोत्कटा I. 25.4b राघव तत्त्वेन III. 72.70 राजन्नवहितः VI. 63.30a "" ,, राजन्पुरावृत्तम् VI. 51. Ira ,, राजन्महासत्व VII. 104.1a राजन्यथाकाले VII. 74.8c " 12 राजन्यथा पौराः VII. 43.13a , · राजन्यथावृत्तम् III. 31.22c राजन्यदीच्छसि VI. 8. 12b राम तथा वृत्तम् VII. 2. 2a राम यथावृत्तम् VII. 76.36 "3 वचो मम VI. 79.15b " शृणुश्वापरां कथाम् VII. 55. Id Jain Education International ११४३ शृणुष्व गदतो मम VI. 16.6d वचनं मम V. 51.38b י, शृणु सौम्य यथा पूर्वम् VII. 54.4c शृणोति य इदं काव्यम् VI. 128.110a वचनं हितम् V. 37.13d " शृणोमि खगतानां च V. 58.45a शृणोम्यधिकगम्भीरम् V. 58.63c शृणोम्यहं प्रीतिकरम् VI. 126. IC शृणोषि कचिद्भगवन् VI. 124.2c शृण्वतः पठतः सदा VI. 128.116d शृणवतां तु यथान्तिके III. 52.5d शृण्वन्ति य इदं काव्यम् VI. 128. IIIc शृण्वन्तु मे परिषदः II. 111.24 हरयो मम IV. 60.3b शृण्वन्दशरथात्मजः II. 37.20b शृण्वन्नतिययौ वीरः II 49.8c शृण्वन्निनादं त्रिदिवालयानाम् VI. 67.700 शृण्वन्राक्षसपुंगवः VII. 24.23d शृण्वन्वाचो मनुष्याणाम् II. 49.4d शृण्वंस्तदपि मर्षये IV. 58.3b शेते कथमनाथवत् II. 58.6d चन्दनरूषितः II. 42.15b दर्या दरीमुखः VI. 31.30b परमदुःखार्ता II. 53.24c निपातितः VI. 48.19d विनिहतो भूमौ III. 52.4c 67.270 " " शेते महीतले III. 16.28d शेपुरेनं रघुश्रेष्ठ VII. 36.33a शेपुः परमसंक्रुद्धाः I. 58. ga शेरते गां समाश्रिताः VI. 54.9b " " " " " "" " "9 " वानरर्षभाः VI. 66.13b 23 विवृतद्वाराः II. 67.18c शेषकार्ये भवान्गतिः VI. 30.35d शेषमत्र महायशः VII. 98.21b " For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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