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________________ शरैः काञ्चनभूषितैः III. 20. 18b कालान्तकोपमैः VI. 67.13b परशुभिस्तीक्ष्णै: VI. 89. 23a पश्यस्व मैथिलि VI. 48.31b पावकसंनिभैः VII. 23.35b पूर्णायतोत्सृष्टेः VII. 7. Sa giga: VII. 7.6b शत्रुनिवारणै: VI. 86.34b शितश्छेत्स्यति राससेन्द्रः V. 28.6d शितैस्त्वां विविधैर्नयामि VII. 68.20b 39 " " 33 " " " :> " " در " "" 39 33 33 aat VI. 71.41b >" पूर्णाची परंतपः II. 87.23b शरोत्तमं काञ्चनरूपभासितम् IV. 16.38b शरोर्मिमाले सुमहाहवी III. 31. Sb शरो वज्रनिभानन: VII. 60.7b विपूजित: VI. 69.35b शरौघानभिवर्षन्तौ VI. Sg.28a शरौघान् राघवानुजः VI 71.78b शरोधः प्रतिचिच्छेद VI. 76.200 शरौ प्रतिहतौ दृष्ट्वा VI. 90.54a शर्कराणां च संचयाः II. 91. 73d शर्करासवगन्धः सः V. 9.56a शर्करासव माध्वीकाः V. 11.23a शर्मिष्ठा जनयत्सूरुम् VII. 58.1oc नाम देतेयी VII. 58.8c 33 शर्वरी राक्षसेन्द्राणाम् VI. 7541c शर्वरी शयिता भूमौ II. 88.2c सात्यवर्तत II. 51.26d 86.23d در 33 शिरसि वानरः V. 46.23b संकृतदेहिनः VI. 54.15b संतर्प्य लक्ष्मणम् VI. 92.4b संदानितोऽपि सन् VI. 49.3b संनतपर्वभिः III. 27.1jd 28.22b 93 او Jain Education International 22 ११२५ शर्वरीं भगवन्नद्य II. 54.37a शर्वर्यामरुणोदये II. 71.17d शर्वर्या रघुनन्दनः III. 16.2b शलभा इव केदारम् VII. 7.3a "" पावकम् VII. 19.16d संदाय IV. 45.3a शलभानामिवोद्गम: VI. 41.49d शलभो वह्निना यथा VII. 34.46d शल्यक: श्वाविधो गोधा IV. 17.39c शल्यसंपीडितं शस्तम् VI. gra शल्यान्मृगमयूरांश्च V. II.16c शवभूतान्कृशान्दीनान् VII. 21.16c शशका भक्षितान् V.11.17b शशक्षतजकल्पेन V. Iorga शशविन्दुरिति ख्यातः VI1. 89.17c शशविन्दुश्व राजर्षिः VII. 90.22c शशमालक्ष्य सिंहो वा VII. 34.15a शशलोहितरागेण VI. 40.6a शशश्च सहितौ वने V. 22.16b शशंस कुब्जां कुपिता पुनः पुनः II. 9.62d च यथावृत्तम् VII. ror.a तस्य काकुत्स्थम् III. gorae परमोद्विग्नः IV. 2.5c भ्रातरं प्रियम् III. 64.38d रामस्य बलप्रवेकम् VI. 59.130 शबरी वृद्धा III. 74.1OC सर्व भगिनी खरस्य सा III. 18.26d 20.25d " " " 35 " "" " " "" "" "" " सेनां रामाय II. 96.13c शशंसात्मानमात्मना III. 47.1d शशंसुर्वानराः सर्वे IV. 11.61c 21 " މ " For Private & Personal Use Only " शशंसुस्ते दिवौकसाम् VI. 61.1gd प्रजापतेः VI. 61.1gb "" शशः कूर्मश्च पञ्चमः IV. 17.39d शष्यस्यां विनीतायाम् III. 43.200 www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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