SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 941
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ व्याघ्रो मृगमिवादाय VII. 32.66a , वराहो जीमूतः VII. I5.31a व्याघ्रोष्ट्रनागेन्द्रमृगाश्ववक्त्रैः VI. 59.23b व्याचुक्रोश महात्मानम् VI. 20.32c व्याजहार कथाः शुभाः II. 53.5d ,, नरर्षभः VII. 46.6d पिता मम II. 72.37b पितामहः III. 52.11b महाघोरम् II. II.I2c महामुनिम् I. 48.Id महामुनिः I. 65.22b , VII. 2.12d महेश्वरः VI. II9.1d शुभां गिरम् III. 50.2d , स रावणः VI. 12.6d व्याजहरभिदीप्तायाम् III. 23.6a व्याजहरिव पादपाः III. 52.34d ब्याजहढेष्टमनसः VII. 97.22c व्यात्तानन इवान्तकः III. 3.14d व्यात्ताननमिवान्तकम् III. 32.6d व्यात्तास्यो भक्षयेल्लोकान् VI. 61.28c व्यादाय वक्त्रं विपुलम् V. I.1440 , विपुलं वक्त्रम् V. I.I52a व्यादितं तु मुखं तया V.58.30d व्यादितास्य इवान्तकः VII. 62.5d व्यादितास्यमिवान्तकम् III. 2.6d व्यादितास्यस्य नदतः VI. 81.33c व्यादितास्यान्भयावहान् VI. 99.43b व्यादितास्या भयानकाः VI. I02.22d व्यादिदेश खरः क्रुद्धः III. 19.21c " " " 26.24c , च पूर्वस्याम् VI. 36.17a प्रियाख्येभ्यः II. 3.48a महातेजा V. 42.240 महाप्राज्ञान I. 59.6c व्यादिदेश महाबल: VII. 91.26d " , 92.8d महामायाम् VI. 36.18c ,, महावीर्यः VI. 4.21c , महासत्त्वः VI. II2.13a , सुसंक्रुद्धः V. 58.128a , हरिश्रेष्ठान् VI. 76.57c व्यादिशत्पुरुषांस्तत्र I. I3. 300 व्यादिश त्वं परंतप VI. 63.41b व्यादिश्य च महाराजः II. IOI.24c , शुकसारणी VI. 36.19b ब्यादिष्टस्तव वचनाच शिल्पिवर्गः II.79.17d व्यादिष्टाः कपिराजेन IV. 47.Ic व्याधनस्ता मृगा इव III. 27.20b व्याधयोपेक्षिता इव VII. 5.8d व्याधाश्चारण्यकोविदाः II. 36.5d व्याधिना नरशार्दूल I. 42.9c , मय्यनागते II. 72.29b व्याधिमाचक्ष्व भामिनि II. I0.31b व्याधिरनरसे यथा II. 64.59d व्याधूयन्ते पुनः पुनः V. 9.53d व्याधूयमानैर्मुदुमारुतेन IV. 30.51b व्यापृतं वित्तसंचये II. 39.14b व्यापोहत महातेजाः VI. 73.4Ic व्याप्तस्योच्चैर्विनेदुषः VI. 75.31b व्याप्ता सगिरिकानना I. 36.16d व्याभाषितैर्वा रूपैर्वा IV. 2.27c व्यामिश्रा वै दिशो दश VI. 75.45b व्यामिश्रितं सर्जकदम्बपुष्पैः IV. 28.18a व्यामृष्टपरिघाशनि VI. 75.6od व्यामोहितो भूमितले गतासुः VI. 70.31c व्यायच्छमानं तं दृष्ट्वा VI. I07.21c व्यायतः शुशुमे कपि: V. 1.64b व्यायतानां महात्मनाम् I. 67.4b व्यायामकृतसंकल्पः II. 63.20c व्यायामशिक्षाबलसंप्रयुक्तो VI. 40.20c Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy