SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 701
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६६ यजेयमिति निश्चिता I. 38.24b , राघव I. 57.IId यजेयं दीर्घसत्रेण VII. 55-70 यजवेनैव धावसि III. 53.10b यउज्येष्ठवशगो भवेत् II. 40.6d यज्वनो महिषीं ये माम् VI. 48.3a यज्वा धर्मपरो वशी I. 6.2b मज्विमिर्गुणसंपन्नैः II. 7L.20c यज्ञकर्मणि वेदज्ञः I. 38.24e यज्ञकर्म समीहन्ताम् I. 13.8b यज्ञकर्मसु निष्ठितान् I. I3.6c , ये व्यग्राः I. I3.15c यज्ञकर्मारभंस्तदा I. I3.40d यज्ञगोप्ता स मे ततः I. 70.4b यज्ञगोष्टास्तथैव च II. 71.40d यज्ञन्नान्रघुनन्दनः I. 30.24b यज्ञनान्रुधिराशनान् I. 30.21d यज्ञच्छिद्रं भवत्येतत् I. 39.10c यज्ञदीक्षां मनीषिणः VII. 57.10d यज्ञप्रवरमुत्तमम् VII. 92.Iob यज्ञप्रवृत्ते पुत्रे तु VII. 25.250 यज्ञभाण्डमृषिः कश्चित् I. 4.24c यज्ञभूमिनिरीक्षकाः VII. 91.12d यज्ञभूमिर्विधीयताम् I. 8.12b यज्ञवाटमुपागमत् I. 50.Id , ,73.80 यज्ञवाटश्च सुमहान् VII. 9I.I5c यज्ञवाटं गताः सर्वे I. I3.4la , गतो नृपः VII. 96.1b , महात्मनः I. 43.35b , महाबाहुः VII. 92.3a यज्ञविघ्नकर सदा III. 32.13b यज्ञविघ्नकरी यक्षी I. 26.22a यज्ञविघ्नकरौ तौ ते I. 20.26a यज्ञविघ्नं करिष्यतः I. 20. Igd यज्ञश्चाविघ्नतो भवेत् I. 62.12b यज्ञशत्रुर्विहङ्गमः III. 23.3rd , 26.26d यज्ञशत्रुश्च दुर्धर्षः VI. 44.20a , निहतः VI. 123.13c यज्ञशत्रोश्च भवनम् V. 54.15c यज्ञशीला द्विजातयः II. 67.13b यज्ञसंपत्समृद्धये VII. 25.6b यज्ञसंभारकारणात् I. 59.6d यज्ञसाह्य करानराजन् I. 59.3c यज्ञसूत्रं तथापरः I. 4.21d यज्ञस्य च निरामयम् I. 50.gb ,, , समाप्तवान् I. 62.27b ,, , सुताभ्यां च I. 69.18e यज्ञस्यान्तेऽददं राम I. 75.25c यज्ञस्यान्ते नरश्रेष्ठ I. 69.13a , नरोत्तम I. 60.34f यज्ञस्यायतनं शुभम् VII. 65.38b यज्ञं काकुत्स्थसहितः I. 65.32a ,, चकार सुमहान् I. 29.6a ,, च परमाद्भुतम् I. 3I.IId ,, चाद्भुतसंकाशम् VII. 86.19c ,, चाहर्तुमिच्छतः I. 58.21d ,, द्रष्टुं समागतः II. II8.44d ", I5d ,, I2.4b ", I2d , ,, I6b यज्ञभूमौ स विधिवत् VI. 80.5c यज्ञभूम्यां ततो गत्वा VI. 82.25c यज्ञमद्भुतदर्शनम् VII. 93.2b यज्ञमिष्ट्वा च वैष्णवम् VII. 30.49d यज्ञमुद्दिश्य दीक्षितम् III. 38.13b यज्ञवाटगताश्चापि VII. 97.23a यज्ञवाटमतन्द्रितः I. 62.23d Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy