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________________ भीमाक्ष राक्षसाधिपम् III. 53.2b भीमाक्षा भीमदर्शनाः VI. 55.6b 65.37d. 27.8b ވ भीमाक्षाः शस्त्रपाणयः भीमाक्षो भीमदर्शनः भीमानां भीमकर्मणाम् IV. 37.24b "" VI. 45.4b .. 59 IC भीमानुद्यम्य पादपान् भीमायुधं सागरतुल्यम् मीश्वरथमातंगम् VI. 75.540 भीमेन लवगर्षभाः IV. 67.16d भीमैर्नानाविधायुधः VI. 57.20d भीमोर गनिषेवितम् V. 56.41b भीरुणा लोकगर्हितम् III. 51.2gb हर्तुमिच्छता 53.4b " भीरूणां भीषणानि वें VI. 54.10b " "" हृदयानि च I. 26. Iod मी भीड़ : सती तदा V. 66. 12b भी लघुमिव सत्त्वम् VI. 104.20 भीरोः प्रवादाः श्रूयन्ते 66.23a भीषणैर्विविधैर्वाक्यैः IV. 54.7c भीषणोऽयं महाकायः III. 7o.ga भुक्तपूर्वामिव स्रजम् VI. 46.42d मुक्त पूर्वा विशालाक्ष VII. 11. 28c भुक्तभोगस्य भोजनम् II. 104. Ind भुक्तमन्नमिवातुरम् 127 नवजसा V. 51.24d भुक्तं राज्यं विशांपते II. 61.15b भुक्तशेषं द्विजोत्तमाः 61.1+b भुक्तशेषमिवोदकमू 27.8b 92 भुक्तानां क्षणदाचर III. 29.9d भुक्त भोगा यथेप्सिताः II. 4. 12b भुक्ताश्च भोगा निभृताश्च भृत्याः VI. 109.22b भुक्त्वा चाण्डालभोजनम् I. 59.14d पीत्वा च पानीयम् IV. Sr. rge. भुक्त्वाऽशनं विशालाक्षी II. 6r.ga भुङ्क्ते आहृत्य रावणः VI. 92.40b ७७ " Jain Education International "" ७८५ " भुक्षिताभुंक्षितैरुक्तः VII. 4.12 भुंक्ष्व भोगान्यथाकामम् V. 20.23a • भोगान्यथासुखम् VII. 17.22d राज्यमकण्टकम् II. 66.3b "1 "3 23 राज्यमनुद्विग्नः IV. 20.21c भुजगाचरितां गुप्ताम् V. 3.5a भुजगाः सागरंगमाः 1.73b भुजगेन्द्र वधूमिव 15.31d भुजगैरर्धनिःसृतैः IV. 67.47b भुजङ्ग इव निःश्वसन् V. 22.3od भुजङ्गयक्षगन्धर्व 57. IC भुजङ्गराजोत्तमभोगबाहुः VI. 67.142b भुजङ्गाद्धि न ते भयम् VII. 18.21d भुजङ्गानुद्धर पक्षी IV. 66.5c भुजङ्गेनेव मन्दरः V. 22.26d VI. 65.29d " " म् 4.112b भुजङ्गैश्च समन्वितम् II. 50.25b भुजं परिघसंकाशम् 61. 7c भुजपाणिशिरश्छिन्ना: VI. 54. I0c भुजपाशान्तरस्थेन V. 10.43a भुजमन्यस्य कस्यचित् 21.16d भुजमुद्यम्य दक्षिणम् II. 50.4b वीर्यवान् 42.31b 39. "" 79 भुजं रामस्य दक्षिणम् VI. 29. Id भुजवीर्यबलं तव IV. 66.6b भुजवीर्याभिगुप्तश्च V. 48.4c "3 د. 22 " For Private & Personal Use Only " "" 105.4d VII. 11.32d' .. भुजश्च चार्वाञ्चितवृत्तपीनः | भुजसंभोगपीडितम् भुजस्थैरङ्गदैरपि VI. 77.5b भुजानां पीडनात्तथा VII. 16.2gb भुजाना मानुषान्भोगान् III. 47.4c 48.14a ,, 29.3a ور 427 10.45b www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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