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________________ कृतः कापुरुषस्त्वया VI. 104.6d कृतकामा तु कैकेयी II. 53.6c कृतकामोऽस्मि भवता II. 52.10c कृतकामो भविष्यामि VII. 56.18c ,, महीं सर्वाम् I. 65.28a कृतकामो नृपात्मजौ I. 66.6b कृतकार्यमिदं दुर्ग II. 98.13a कृतकार्यसमृद्धार्थम् VI. II2.21c कृतकार्यः सह त्वया III. 40.25d कृतकार्यस्य मे वास: VI. I21.22c कृतकार्या द्विजोत्तमान् II 61.12d कृतकृत्यं तदात्मानम् I. II.29c कृतकृत्यममन्यत III. 55.Id कृतकृत्य मिवात्मानम् VI. 36.21c कृतकृत्यस्तदा रामः I. I.85c कृतकृत्या नृपात्मजा II. 22.12b ,, भविष्यामः IV. 42.56a कृतकृत्या भविष्याम: IV. 57.3c , महाभागा II. 98.11a ,, वयं तात VII. 3.20c ,, हि वैदेही II. 40.24a कृतकृत्योऽद्य सुग्रीवः IV. 23.15c कृतकृत्यो भविष्यसि II. I4.22d , भविष्यामि II. 74.34c कृतकृत्योऽसि राघव IV. 4.31d ,, ऽस्मि भार्गव I. 61.14c कृतकोतुकमङ्गल: I. 73.9d " II. 14.51b , II. 16.25b कृतकौतुकमङ्गलैः I. 73.11b कृतवातुकसर्वस्वा I. 73.15a कृतं कर्म जटायुषा IV. 56.9b ,, महत्तेन V. 26.17a ,, , महद्रणे VI. 91.15d ,, ,, यशः श्लाध्यम् VI. II9.23a कृतं कर्म सुदुष्करम् VI. 67.55b , , , VI. 83.2b , , , VI. 127.47d ,, कार्यम कार्य वा II. 58.27c ,, कार्यमिति श्रीमान् III. 52. Ha ,, कृतन्नेष्विव मानुषाणाम् V. 28.12d ,, कृत्यं हनूमता VI. I. Iob ,, गुरुवचस्त्वया I. 30.26b ,, घोरेण कर्मणा II. 14.5b ,, च सुकृतं भवेत् VI. 6.4d , चेन्नाति जानीषे IV. 34.17a ,, च त्रिदशेश्वरः IV. 40.54b ,, तारे सहायत्वम् IV. 16.9c ,, ते दारुणं कर्म III. 29.2c ,, तेन महत्प्रियम् IV. 29.23b ,, त्वया कर्म महत्सुभीमम् VI. 59.140a ,, ,, दृष्ट फलं च कर्म IV. 24.4b ,, त्वामभिनिघ्नता IV. 20.20) ,, दक्त हुतं तथा VII. I7.32b ,, दशगुणं मया VI. I27.56d ,, धर्मभृतां वर VI. II7.28d ,, न प्रतिकुर्याद्यः IV. 38.26c , नः कदनं घोरम् VI. 66.29a ,, ,, , महत् VI. I2.21d ,, परमकल्याणम् VI. 91.13a ,, भविष्यत्यगिलानलोपमा IV. 43.60c ,, भारसहस्रस्य VI. 67.63a ,, भास्करवर्चसम् VI. I08.7d ,, मया यथा तथ्यम् VII. 83.3a ,, ,, स्यात्तव दीर्घबाहो IV. 20.25b कृतः क्षणः काल इव प्रजाक्षये V. 46.4Id ,, परपुरंजय IV. 30.77b ,, परमसंमत: IV. 9.2d ,, पुण्यमयो गिरि: VII. 31.381 ,, प्राणैर्बहुमतः IV. 8.27c Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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