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________________ बीनामुत्तमस्त्रीणाम् V. 20. 160 बीरपि मतीर्गत्वा VI. 6.13a बह्वीश्च विविधाकाराः VI. 33.22a बहुतत्कामयानस्य VI. 5.1oa यो वै राक्षसाधिप VI. 7.1d बा कल्यं गमिष्यामि III. 31.33a प्रयच्छ नेच्छामि VII. 15.50 "" प्राप्स्यसि पुष्कलम् IV. 10.34d बाढमित्यब्रवीत्सर्वान् I 36.120 बाढमित्यब्रवीत्स्मयन VII. 108.23b बाढमित्यब्रवीद्राजा I. 67.15a बाढमित्यब्रवीद्रामः VII. 94.2ga बाढमित्यब्रवीद्धृष्ट: VI. 78.40 बाढमित्येव काकुत्स्थः I. 28.11a III. 6.4.23c در ލ " बाढमित्येव गाधेयः I. 52.1ga " "" " 31 >> " ار " وو " "" " ار دو "> ;) :" चाब्रवीत् VII. 72.18d در तं राम VII. 12.1ge तां वाणीम् V. 58.41a देवताः I. 60.3 b मंस्यते II. 97.18d राघवम् II. 50.30b VII. 70.6b " राजान: VII. 38.310 वक्ष्यति II. 12.65d fagu VII. 57.15a शत्रुघ्नम् VII. 108.16c सद्विज: VII. 2.27d संहृष्ट: VI. 124.18c 33 सौमित्रिः VII. 44.5a हृष्टवत् VII. 3. 1ód बाण चोत्तममाददे VI. 71.64t सा रम्भा VII. 26.31c सोऽब्रवीन VII. 11.20b VII. 107.16b Jain Education International ૪૨ बाणजालानि शूलानि VI. 31.220 बाणजालैः शरीरस्थै: VI. 88.74a " समन्ततः VI. 89. 3rd बाणधारासह सैस्तु VI. 103.3a बाणपातान्तरे रामम् VI. 45.25a बाणपातैः समन्ततः VI. 79.4d बाणः पास्यति शोणितम् VI. 71.56b बाणः पुत्रः प्रतापवान् I. 70.23b II. 110.9b " बाणं प्रदीप्तान्तककालकल्पम् VI. 71.103b महेन्द्राशनितुल्यवेगम् VI. 59.39c बाणमोक्षेण संयुगे IV.14.11b बाणवद्भिरजिह्मगैः VI. 102.67d बाणवर्षैः समन्ततः VII. 28.48b बाणवेगं तदद्भुतम् VI. 76.jod बाणवेगात्समुत्क्षिप्त VI. 99.26c बाणशल्यस्फुरजिह्वः IV. 31.30a बाणल्यान्तरोत्थितम् VI. 71.62d 103.21d " 31 " बाणसंसक्तकार्मुकम् VI. 75.57b " बाणस्य च महाबाहुः II. 110gc " " तु महातेजाः I. 70.23c बाणस्यापि बभौ युतिः IV. 23.18d बाणः स्वर्णपरिष्कृतः IV. 12.3b बाणाद्वयथितमर्मणः II. 63.25b बाणानां समरे खरम् III. 30.2od हिमवानपि VI. 71.52b बाणानि मुसलानि च VI. 58.7b बाणान्बाणैर्महातेजाः VI. 99.19c बाणान्रणे वानरवाहिनीषु VI. 73.53b तमर्मणः II. 63.51d बाणाभिहतमत्वान् VI. 49.16a बाणावपातं त्वमिहाद्य धीमन् VI. 73.66c बाणेन जाम्बूनदचित्रितेन VI. 67. 158d वज्राशनिसंनिभेन VI. 59.136b 27 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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