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________________ बला चातिबला चैव I. 22.170 बलात्कुक्कुट वृत्तेन VI. 13.4a बलात्तेनास्मि धर्षिता VII. 26.50b बलात्परिक्षिप्तमिमं भवन्तः VI. 14. 18 c प्रमथिता यदि V. 33.12b बलादपि करिष्यसि III. 40.26d बलादस्मिन्समागम्य IV. 10. IOC बलादादाय वीर्यवान् VI. 24.14b बलाद् गृहीता रक्षोभिः VI. 30.7c गृह्य दशाननम् VII. 32.64b बलाद्वाहुबलैरपि I. 5.21d बलाद्भद्रे प्रधर्षिता VII. 26.54d बलाद्धि विवृणोत्येव VI. 17.640 बलाद्येनावपन्नोऽसि IV. 2014 बलाध्यक्ष प्रचोदिता: VI. 55.6d बलाध्यक्षमुवाच ह VI. 51.21b बलाध्यक्ष मुवाचेदम् VI. 55. IC वलाध्यक्ष स्थितांस्तत्र VI. 95. 220 बलाध्यक्ष न्हितैषिणः VI. 32.42b बलाध्यक्ष बलस्य च II. 82. 24b बलाध्यक्षा महाबलाः VI. 57.19d बलाध्यक्षश्च संस्थाप्य VI. 95.29a बलाध्यक्षाः ससैनिकाः III. 6.28b बलाध्यक्ष संयुक्ता VI. 95. 23a बलाध्यक्षो निशाचरः VI. 78.7b बलाध्यक्षो बलानुगः VI. 51.22b बलानामनुदर्शने VI. 3. 19d बलानामुपसंग्रहम् I. 3.25b बलानां सर्वसंग्रहम् VI. 3. 33b बलानि राज्ञां शुभ्राणि I. 18.4c बलानि सुसमृद्धानि V. 48.8a बलान्नारीं गमिष्यसि VI. 13.14b बलान्निवारयन्तश्च V. 62.23a बलान्नीलं लवंगमम् VI. 58.51d बलान्मत्तो महाबलः I. 54. rod " Jain Education International ७४४ लामा हर्तुमिच्छसि III. 53.14d बलान्यपरिमेयानि VI. 9.12a बलाबलनिरीक्षया I. 75.15b बलाभिभूता ह्यबला तपस्विनी V. 13.670 बलातिबलां चैव I. 22.15c 18c " " " बलातिबलां तथा I. 22.13b लार्णव सस्वनतुश्च भीमौ VI. 96.35c बलाव मस्त्वयि संनिकृष्टे V. 4. 10 बलाहको वृष्टिमिवाचलोत्तमे V. 47. 18d बलिकर्मभिरावृताम् I. 5.14b बलिकर्मविहीनानि II. 71.38a बलिनः कामचारिणः IV. 40.2b कामरूपिण: VI. 28.3b बलिनं पर्युपासते IV. 23.5b "" युद्धदुर्मदम् V. 58. 128b रावणात्मजम् VI. 87.6b बलिना तेन पीडितः V. 56.49b बलिं नारायणो यथा VII. 32.64d बनावश्विसंभव VI. 30.25d बलिनां वानरेन्द्राणाम् V. 43.21a बलि निगृह्येव सहस्रलोचन: VII. 32.73d बलिनोऽन्ये च राक्षसाः VI. 123gb बलिनो बलवत्तराः II. 80.8b ., در बाहुशलिनः VI. 64.1b युद्धकाङ्क्षिणः V. 50.15d वीर्ययुक्तस्य V. 23. Ire , बलिं बद्धवा महीमिमाम् III. 61.24d सुदारुणम् VI. 117.27b "2 "" در "" "" बलभिर्बहुभिर्भीमै: VI. 4. 31c बलिभिर्भीमविक्रमैः IV. 40.3b बलिभिः शस्त्रपाणिभिः IV. 33.17b बलिरिन्द्रकृतं यथा II. 14.11d बलिर्नर शम्बरौ VII. 27.9b बलिवैरोचनिर्विष्णो I 29,7a For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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