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________________ पुत्रकोट्या विशिष्यते II. 35.8d पुत्रः को हृदये कुर्यात् II. 21.7c पुत्रक्षयं भ्रातृवधं च घोरम् VI. 73.2c पुत्रं चन्द्रमिवोदितम् II. 44.22d ., च परिषस्वजे VI. 46.46b पुत्रजन्माप्रजस्य वै I. I8.51b पुत्रं तं वारयित्वा तु VII. 28.32a पुत्रत्वं तु गते विष्णौ I. 17.la ,, यच्छ भगवन I. 29.16c पुत्र त्वां संश्रयिष्यति II. 4.41d पुत्रं त्रैलोक्यहन्तारम् I. 46.6c ,, दशरथस्तदा VI. II9.IId पुत्रदर्शनलालसाम् VI. 49.8d पुत्रदारधनानि च VI.57.16b पुत्रदारं विना त्वया IV. 54.9d पुत्रदारैः समावृताः II. 48.3b पुत्रं दीर्घतपोर्जितम् I. 46.2d ,, देवी व्यजायत I. 70.36d पुत्रद्वयं ममाप्यस्याम् VII. 12.12c पुत्रद्वयविहीनं च II. 42.30a पुत्रः परपुरंजय VII. I04.2b ,, परबलार्दनः VI. 67.100b ,, परमधार्मिकः I. 47.IId " , ,, ,, 15d , ,, II. II0.33d पुत्रं पश्चिमदर्शनम् II. 64.26d ,, पुत्रमिवौरसम् IV. 22.9b ,, पुत्रवतां वर: II. 3.38d ,, पुत्रवतां श्रेष्ठः VII. 4.I7c पुत्रपौत्रे तथानघ I. 52.91 पुत्रपौत्रैः परिवृता VII. 09.14 पुत्रं प्रथमजं लब्ध्वा II. 48.5c पुत्रप्रवादेन तु रावणस्य VI. I5.10a पुत्रः प्रव्राजितो मया II. 12.66d ,, , वनम् II. 39.25b पुत्रः प्रवाजितो वनम् II. 77.7b ,, प्राप्स्यति केवलम् II. 9.5d ,, प्रियतरः प्रभुः V. 51.5b " , प्राण: VII. 26.32c पुत्र भ्रातरि गच्छति II. 40.5d ,, भ्रातृभिरावृतम् VII. 30.2b ,, मा गच्छ सर्वथा II. 34.33b पुत्रं मे वनवासिनम् II. 75.12b पुत्रयोरभिषेकं च VII. I08.3c पुत्रयोरुभयोरेव I. 68.12c पुत्रयोरुभयोः प्रीतिम् I. 6.10a पुत्रं रक्षस्व चाङ्गदम् IV. 19.IIb पुत्रराज्यमवाप्स्यते II. 52.63d पुत्रराज्याय वर्तते II. 23.23d पुत्रं राम मिहार्ह सि II. 14.2Id पुत्र वक्ष्यामि ते हितम् II. 3.42b पुत्रवत्ते त्रयश्चिन्त्या IV. 18.14c पुत्रवत्परिपालने II. 23.26d पुत्रवत्परिरक्षिते IV. II.57b पुत्रवत्पर्यपालयत् VII. 87.4d पुत्रवत्प्रत्यपद्यत II. II7.5d पुत्रं वंशकरं तव I. 38.8b ,, , राम I. 38.13c पुत्रविक्रायकं ध्रुवम् II. 12.78b पुत्र वैश्रवणं पश्य VII. 9.42a पुत्रव्यसनकर्शितः VI. 93.id पुत्रव्यसनजं दुःखम् II. 64.54a ___भयम् II. 64.12d पुत्रव्यसनसंभवः VI. 92.16d पुत्रव्याधिन ते कश्चित् II. 87.9a पुत्र शक्ष्यामि दुर्गता II. 20.44d पुत्रं शरणमागता II. 78.2od पुत्रशोकपराजिते II. 65.16b पुत्रशोकपरियूनम् II. 57.24c पुत्रशोकपरियूनः II. 72.5Tc Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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