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________________ ५९८ निर्दहेच्च पुरीं लङ्काम् V. 26.19a , महोदधिम् V. 26.19b निर्दहेत्सर्ववानरान् V. 13.51d निर्दहेदपि काकुत्स्थ: V. 30.14c ,, शक्रस्य II. 36.29c निदह्यमानः सहसा VI. 50.88c निर्देशं वाहनस्य च VI. 3.9b निर्देष्टुं न शशाक ह VII. 77.3b निर्दोषश्च सदोषश्च IV. 8.8c निर्दोषस्तत्र ते वासः VII. 3.30c निर्दोषा मम संनिधौ VII. 47.13d निर्धनो बहुपुत्रोऽस्मि II. 32.34c निर्धनः सधनोऽपि वा II. 39.25d निर्धावन्तीषवस्तूर्णम् VII. 7.19c निर्धूतपत्रशिखराः V. 14.15a निधूतस्तस्य तेजसा V. 18.31b निधूतान्वायुना पश्य II. 95.10a निधूतास्तत्र राक्षसा: VI. 41.87b निधूतोऽरिम बलीयसा IV. 8.32d निर्धूय तांस्तदा भृत्यान् I. 54.6a नि|तशृङ्गोपतला गिरीणाम् IV. 28.50b निर्बिभेद ततो बाणेः VI. 102.67a , ततः शिलाम् VI. 97.13d ,, नरान्तक: VI. 69.7od , महावीर्यम् VI. 56.2€c ,, विभीषणम् VI. 88.49d ,, शरैस्तीक्ष्णैः VI. 43.29c ,, शितैर्बाणैः VI. 45.13c ,, सहस्रेण III. 30.20c निर्बिभेदोरसि तदा VI. I02.68a निर्भर्सयसि दारुणे V. 3.26d निर्भय॑माना इव सारसोधैः IV. 30.40c निर्भयं विगतज्वरः VII. 43.IIb निर्भयस्य भये सति V. I.133d निर्भया दण्डकाः कृताः III. 36.10b निर्भयान्वनचारिणाम् IV. 13.0b निर्भया विचरिष्यन्ति III. 30.9c ,, शोककर्शिता III. 56.1b निर्भयेनान्तरात्मना VI. 40.9b निर्भयो विगतज्वर: VII. 89.14b ,, वीर्यमाश्रित्य III. 56.14c निर्भयोऽस्तु पिता मम II. 22.9d निर्भयौ सह सैन्येन VII. 27.36c निर्भिद्य बाणैस्तपनीयवर्णैः VI. 73.62b निर्भिन्दन्निव चाशुभैः II. 35.4b , मेदिनीम् VI. 99.15d निर्मथिष्यसि रावणम् VI. 37.24d निर्मथिष्यामि पावकम् III. 68.27b निर्मथ्यममृतं याभिः IV. 66.33c निर्मनुष्यमृगे वने VII. 12.4d निर्मनुष्यामिमां सर्वाम् II. 21.10a. निर्ममन्थ महारणे VI. 73.48b निर्मर्यादं करिष्यामि VI. 21.24a निर्मर्यादस्तु पुरुषः II. I09.3a निर्मर्यादानिमालोकान् III. 64.68c निर्मलग्रहनक्षत्रा IV. 32.11a निर्मलं गतकल्मषम् I. 43.26b ,, निर्मलोदयः V. IT.Ib ,, प्रांशुभावत्वात् V. 15.18a निर्मलाः स्वर्गमायान्ति IV. 18.31c निर्मलाश्चित्रसानवः IV. 30.27b निर्मलेन सुधौतेन VI. 54.34a निर्मलोत्पलसंकुलाम् II. 50.18b निर्मलो निष्करूपश्च I. 24.21c निर्मार्जनीयस्तु तदा VII. 66.7c निर्मार्जनीयो वृद्धाभिः VII. 66.8c निर्माध्यस्थ्याच्च हर्षाच्च II. II.IIC निर्मितं क्रूरकर्मणा VI. 50.48d , तपसा राम III. II. I IC , भवनोत्तमम् IV. 51.J2b Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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