SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 394
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ न मया सस्कृता देवी II. 12.70a न मां दहति पावकः V. 53.33d ,, मयैवंविधं भूतम् VI. 61.7c " ,, ,, ,, ,, 58.103d ,, मर्षयति दुष्टात्मा VI. 36.1c ,,, ,, सर्वतः V. 53.29d ,, मर्षयन्ति चात्मानम् VI. 65.4a. ,, ,, द्रक्ष्यति काकुत्स्थः V. 58.108c नमश्चक्रे च राघवम् V. 17.3Id ,, ,, प्रत्यभिनन्दति II. 18.8d नमस्करोम्यहं तेभ्यः III. 49.32c ,, ,, प्रार्थयितुं युक्तः V. 21.4a नमस्कार्या तपस्विनीम् II. II7.13b ,, ,, रक्षति राघवः V. 67.22b नमस्कृत्य प्रसादये I. 57.Igb ,, ,, विना वीर रमेत वाली IV. 24.33d नमस्कृत्वा गमिष्यामि V. 13.54c ,, ,, शङ्कितुमर्हसि II. 10.35d नमस्कृत्वाऽथ रामाय V. 17.32a ,,, ,, ,, 85.gb नमस्कृत्वा वृषध्वजम् VII. I.7b ,, ,, शोकः प्रधर्षति II. 94.15d , समुद्राय VI. 74.44a ,, ,, ,, समाविशेन V. 35.3d नमस्तमोमिनिम्नाय VI. 105.21C ,, मांसं ददृशे तदा VII. 27.50b नमस्ते राक्षसोत्तम III. 4.3d ,,, राघवो भुङ्क्ते V. 36.41a नमस्तेषां महात्मनाम् V. 26.46d ,, मां सुप्तं जले दहे. VI. 5.gd नमस्तेऽस्तु गमिष्यामि I. 52.I7c , मित्रज्ञातिसंबन्धः IV. 25.7 ,, महावृक्ष II. 55.24c ,, मित्रार्थेन युज्यते IV. 29. I4d नमस्य शीरसा देव्यै V. 58.7c ,, मिथ्या ऋषिभाषितम् VI. 60.12b नमस्यामि कृताञ्जलिः II. 82.15d ,, मिथ्यावचनश्च स्वम् VI. 61.26a न माता न सखीजनः II. 27.6b ,, मिथ्याहं वदे राम VII. 76.3a ,, ,, हरिसत्तम IV. 21.15d ,, म्रियेतेष राक्षसः VII. 22.44b ,, मातुन पितुस्तत्र II. 30.16a ,, मुखे नेत्रयोश्चापि IV. 3.30a ,, मातृपु ममान्तरम् II. 22.17b नमुचिः कालनेमिश्च VII. 6.34c ,, मादृशीं राक्षस वर्षयित्वा III. 48.24c ,, प्रमुचिस्तथा VII. I.3b ,, मानुषी राक्षसस्य V. 24.8a नमुचिर्वासवं यथा III. 28.3d ,, , , ,, 25.3a नमुचिः शाम्बरस्तथा VII. 22.24d ,, मामन्येन संरब्धम् IV. 17.21a नमुचेरिव वासवः IV. II.22d ,, मामसज्जने नार्याः II. 39.28a न मुष्टिप्रतिसंधानम् VI. 89.30c ,, मारुतस्यास्ति गति प्रमाणम् V. 48.IIC , मूहूर्त न च क्षणम् VI. 107.66b ., मारुतिस्तस्य महात्मनोऽन्तरम् V. 48.33b ,, मृगा न च हस्तिनः IV. 48.9b ,, मां जानीत दुःखेन II. 59.26c ,, मृत्युं गणयन्ति च VI. 120.7b ,, ,, त्वमवजानीषे VII. 58.20a , मृत्युं गणयन्ति ये VI. 120.6b ,, ,, त्वं प्रहसिष्यसि II. 35.23d ,, मृत्योरुद्विजन्ति च VI. 27.13d ,, ,, बहु मन्यसे III. 18.15d ,, मृष्यसे वाक्यमिदं निशाचर III. 41.20b ,,,, हातुमिच्छति II. 52 58d , मे क्षुत्प्रतियास्यति VI. 28.13b Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy