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________________ ५२२ द्रष्टव्या पुत्रगर्धिनी II. 58.24d , वानरेन्द्रेण IV. 4.26c द्रष्टव्यौ च विशेषतः II. 26.33b द्रष्टासि पुनरागतम् II. 44.20b " , ,, ,, 21b ., स्वदृतेऽनघ II. 30.7b द्रष्टुकामस्य मैथिलीम् III. 57.2b द्रष्टुकामाः समागमम् II. I03.39b द्रष्टुकामास्तदद्भुतम् VI. 22.7Id ,, ,79.25d द्रष्टुकामो जनः सनः II. I03.38c द्रष्टुकामोऽथ निर्यान्तम् VII. I09.18a. द्रष्टुं चैवागमिष्यामि VII. 82.7c ,, तं मुनिपुङ्गवम् I. 2.23d , तमृषिसत्तमम् VII. 76.18d , तौ पार्थिवात्मजौ V. 59.6f ,, त्वां काङ्क्षते राजा VI. 60.8ga ,, त्वाममिकाङ्क्षति VI. II4.3d ,, दृष्टिर्हि मन्यते IV. 1.7ra , नगरमुत्सुकाः VI. 128.22d ,, भरद्वाजमृषिप्रवर्यम् II. 89.22c ,, भवन्तमायातौ III. 12.8c द्रष्टुमभ्यागतो रणम् VI. I05.2b ह्येषः II. 97.IIC द्रष्टुमर्हसि कौशिक I. 50.16b ___भामिनि IV. 33.35b मा पुनः I. 65.375 , मैथिलीम् VI. II4.2d ,, राघवौ I. 68.IId , राजेन्द्र I. 13.38c द्रष्टुमर्हसि विप्रियम् II. 30.17b द्रष्टुमागमनं हि मे V. 3.34d द्रष्टुं मां शीघ्रमागतः III. 58.14d , ,, समुपागतः III. 12.10d द्रष्टुमासादितुं वापि VI. 45.IIc द्रष्टुमिच्छति राघवम् V. 16.22b , राजा त्वाम् VII. 44.4c द्रष्टुमिच्छन्निहागतः II. 72.12d द्रष्टुमिच्छसि चापस्य IV. 30.74c द्रष्टुमिच्छाम राघव VII.70.16d द्रष्टुमिच्छामहे सर्वे III. 12.4c द्रष्टुमिच्छामि धार्मिकम् II. 14.24d , भर्तारम् VI. II.4.4c मानद VI. I20.6d " . ,, od , राघव VII. 42.33b ,, राघवम् I. 3.4.Iod द्रष्टुमिच्छेयमयाहम् II. 53.32c द्रधुमेनमिहेच्छामि VI. (io.s7c द्रष्टुं रामाभिषेचनम् II. 6.26b ,, वाऽपि नरेवर IV. II.64d ,, वाप्य शक सुहृत् VI. I16.22d ,, वाप्युपलभ्यते V. 20.27b ,, व्यवस्येदिति निश्चितार्थः V. 48.47d ,, शक्यमयोध्यायाम् I. 6.8c , ,, , ,, I6c ,, शशिनिभं मुखम् VI. 127.5b ,, सर्वत्र निर्माता II. 27.18a ,, सर्षिगणाः सुराः I. 76.9b द्राक्षीद्राज्यस्थमासीनम् II. 75.20c द्राविडा: सिन्धुसौवीराः II. I0.37a द्रावितं दृश्य पूर्वजम् VII. 8.10b द्रुतदावाग्निविप्लुटाम् II. II4.12c द्रुतमाज्ञापयत्तदा VI. 42.32d द्रुतं नदी सागरमभ्युपैति IV. 28.25b ,, सूतसमायुक्तम् VI. 95.33c द्रुम कर्मविभूषिताम् IV. 25.22d दुमकुल्य इति ख्यातः VI. 22.29c द्रुमगुल्मलताकीर्णम् VII. 88.6c द्रुमचिरैश्च संहतैः V. 48.46d Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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